और मजबूत हुए भारत और ईरान के संबंध, हुए नौ समझौतों पर हस्ताक्षर
सुरक्षा, व्यापार एवं ऊर्जा के प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग को मजबूती देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी से बातचीत की, जिसके बाद दोनों पक्षों ने नौ समझौतों पर दस्तखत किए जिसमें दोहरे कराधान से जुड़ा एक समझौता भी शामिल है। अपनी व्यापक बातचीत के दौरान दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय हालात पर चर्चा की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट किया, ‘‘व्यापार एवं निवेश, ऊर्जा, संपर्क, रक्षा एवं सुरक्षा और क्षेत्रीय मुद्दों पर दोनों नेताओं ने ठोस एवं लाभकारी चर्चा की।’’ रूहानी के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि ईरानी राष्ट्रपति की यात्रा दिखाती है कि दोनों देश कैसे संपर्क सहित प्रमुख क्षेत्रों में अपने सहयोग को मजबूत बनाना चाहते हैं।
अपनी विस्तृत वार्ता का ब्योरा देते हुए मोदी ने कहा कि उन्होंने आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी और अन्य चुनौतियों से पैदा हुए खतरों पर चर्चा की। रूहानी ने कहा, ‘‘हम आतंकवाद एवं चरमपंथ से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’ ईरानी नेता ने यह भी कहा कि कूटनीति एवं राजनीतिक पहलों के जरिए क्षेत्रीय संघर्ष सुलझाए जाने चाहिए। पीएम मोदी ने रणनीतिक तौर पर अहम चाबहार पोर्ट को विकसित करने में प्रर्दिशत किए गए नेतृत्व के लिए रूहानी की तारीफ भी की। दोहरे कराधान समझौते के अलावा दोनों देशों ने प्रत्यर्पण संधि को अनुमोदित करने के दस्तावेजों का आदान-प्रदान किया।
इसके साथ ही वीजा प्रक्रिया आसान बनाने का भी संकल्प किया गया। इससे पहले, राष्ट्रपति भवन में रूहानी का स्वागत किया गया। सुबह विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने रूहानी से मुलाकात की और उनसे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। बता दें कि ईरान ने शुक्रवार को तेल एवं प्राकृतिक गैस के अपने विशाल संसाधनों को भारत के साथ साझा करने तथा द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए वीजा नियमों में ढील देने की इच्छा जताई थी।
तीन दिन की भारत यात्रा पर आए ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा था कि वर्तमान सदी एशिया की है जहां नई दिल्ली और तेहरान के पास निभाने के लिए एक बड़ी भूमिका है। उन्होंने हैदराबाद में जुमे की नमाज अदा करने के बाद मक्का मस्जिद में एक सभा में कहा था कि खाड़ी देश में चाबहार बंदरगाह भारत के लिए (पाकिस्तान से गुजरे बिना) ईरान और अफगानिस्तान, मध्य एशियाई देशों तथा यूरोप तक ट्रांजिट मार्ग खोलेगा।