कंज्‍यूमर फोरम का ऐतिहासिक : ट्रेन मे चोरी या डकैती होने पर रेलवे को देना होगा मुआवजा,

देश के उपभोक्ताओं के हितों का संरक्षण करने वाली सर्वोच्च संस्था नेशनल कंज्यूमर कमीशन ने महत्वपूर्ण फैसला दिया है। आयोग ने रेलवे के अनारक्षित कोचों से यात्रा करने वाले यात्रियों के बड़ी राहत दी है। ऐसे कोचों से यात्रियों का सामान गायब या चोरी होने पर रेलवे को मुआवजा देना पड़ेगा। कंज्यूमर कमीशन ने रेलवे की उन दलीलों को खारिज करते हुए यह व्यवस्था दी है, जिनमें रेलवे ने सामान की सुरक्षा की जिम्मेदारी संबंधित यात्रियों की होने की बात कही थी। शीर्ष संस्था ने स्पष्ट किया कि ट्रेनों से यात्रा करने वाले लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी रेलवे की है।

रेखा गुप्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने उपभोक्ताओं के हक में फैसला दिया है। पीठ ने कहा कि यात्रियों की सुरक्षा को लेकर रेलवे अपनी जिम्मेदारियों से नहीं बच सकता है। यात्रियों को सुरक्षित और आरामदेह यात्रा मुहैया कराने का दायित्व रेलवे का है। कंज्यूमर फोरम ने कहा कि चलती ट्रेन में चोरी या डकैती की घटना के लिए संबंधित रेलवे जोन को नुकसान की भरपाई करनी होगी। कोच में किसी अवांछित व्यक्ति को घुसने से रोकने की जिम्मेदारी अटेंडेंट और कंडक्टर की है। नेशनल कंज्यूमर कमीशन ने कोच का गेट खुला रहने पर भी सवाल खड़ा किया। आरक्षित कोच में यात्रियों की सुरक्षा का ध्यान रखा जाता है, लेकिन अनारक्षित बोगियों में सुरक्षा की स्थिति बहुत खराब रहती है। आए दिन चोरी और डकैती की घटनाएं होती रहती हैं। सुरक्षाकर्मियों की कमी और लापरवाही का खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ता है।

नेशनल कंज्यूमर फोरम ने वर्ष 2011 के एक मामले में यह फैसला दिया है। दरअसल, महिला यात्री जैश्मिन मान फरवरी 2011 में दिल्ली से श्रीगंगानगर की यात्रा कर रही थीं। कुछ लोगों ने उन पर हमला कर उनका पर्स छीन लिया था। उन्होंने कंज्यूमर फोरम में अर्जी दाखिल कर रेलवे से मुआवजे की मांग की थी। उन्होंने कोच अटेंडेंट से किसी भी तरह की मदद नहीं मिलने का भी आरोप लगाया था। कंज्यूमर फोरम ने उनके हक में फैसला सुनाते हुए रेलवे को ब्याज समेत 2.7 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था। उत्तर-पश्चिम रेलवे ने इस फैसले को नेशनल कंज्यूमर फोरम में चुनौती दी थी। उपभोक्ताओं से जुड़ी शीर्ष संस्था ने भी महिला यात्री के हक में फैसला दिया है।

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