कंट्रोल में रखें कोलेस्ट्रॉल: ये दिल का है जानी दुश्मन, 18 के बाद नियमित करवाएं ये तीन जांच,

देश में बढ़ते दिल के दौरे के मामलों को देखते हुए कार्डियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया ने स्वस्थ दिल के पैमाने में बदलाव किया है। अब कोलेस्ट्रॉल का 100 से कम का स्तर बेहतर माना जाएगा। अभी तक यह आंकड़ा 130 का था। शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने से खून के धक्का जमने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसा होने पर धमनियों में ब्लॉकेज हो सकता है, जो दिल का दौरा दे सकता है।

विशेषज्ञ बताते हैं कि पश्चिमी देशों के मुकाबले भारत में 10 साल पहले लोगों में दिल का रोग हो जाता है। इसका बढ़ा कारण खानपान, खराब हुई जीवनशैली, दैनिक शरीरिक गतिविधि में आई कमी सहित दूसरे कारण है। ऐसे में पहली बार भारतीय लोगों के आधार पर नई दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।

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कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (सीएसआई) के अध्यक्ष डॉ. प्रताप चंद्र रथ ने कहा कि उच्च रक्तचाप और मधुमेह के विपरीत डिस्लिपिडेमिया एक साइलेंट किलर है। इसमें अक्सर लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। इसका जल्द पता लगाया जाना चाहिए। नए दिशानिर्देश पारंपरिक खाली पेट से हटकर, जोखिम के आकलन और उपचार के लिए बिना खाली पेट लिपिड को मापने की सलाह दी गई है।

वहीं लिपिड गाइडलाइन्स के अध्यक्ष डॉ. जे पी एस साहनी ने कहा कि दिल को स्वस्थ रखने के लिए एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का लेवल 100 से नीचे रखना है। यदि किसी के परिवार में दिल का रोगी, मधुमेह, उच्च रक्तचाप की समस्या है तो उनके लिए यह स्तर 70 से नीचे रहेगा। वहीं जिन्हें पहले दिल का दौरा आ चुका है वो सबसे ज्यादा रिस्क में है ऐसे लोगों को अपना एलडीएल कोलेस्ट्रॉल 55 से भी नीचे रखना है।

लोगों की बदल गई जिंदगी
एम्स के कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर एस रामाकृष्णन ने कहा कि लोगों के जिंदगी में बदलाव आया है। लोगों ने शारीरिक गतिविधि कम कर दी। इसके अलावा अन्य कारणों से दिल का रोग होने की आशंका रहती है। इससे बचने के लिए शराब और तंबाकू का सेवन बंद करें, चीनी व कार्बोहाइड्रेट का सेवन कम, हार्ट व डायबिटीज के मरीजों को स्टैटिन दवाएं ले सकते हैं। देश में 90 फीसदी दिल के रोग के पीछे पारंपरिक कारण हैं। इसमें खानपान, माता-पिता से बच्चों में रोग आने सहित अन्य कारण हैं।

जानवर से मिले उत्पाद में होता है कोलेस्ट्रॉल
डॉक्टरों ने बताया कि जानवरों से मिले उत्पाद में कोलेस्ट्रॉल पाया जाता है। इसमें दूध, दही, अंडा, मीट सहित दूसरे उत्पाद हैं। वहीं पेड़-पौधे से मिले उत्पाद में यह नहीं पाया जाता।

18 के बाद करवाएं नियमित जांच
डॉक्टरों ने कहा कि जिन घरों में दिल के रोग होने का कोई भी कारण है उनमें 18 साल की उम्र के बाद लोगों को मधुमेह, रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल सहित अन्य जरूरी जांच करवानी चाहिए। वहीं अन्य लोगों को 40 साल के बाद नियमित रूप से यह जांच करवानी चाहिए। पीटीआई