‘कभी नहीं सोचा था कि अटल के बगैर बैठक में यूं बोलना पड़ेगा’, प्रार्थना सभा में छलका लाल कृष्ण आडवाणी का दर्द
भारत रत्न और दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सर्वदलीय प्रार्थना सभा में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी का दर्द छलक उठा। सोमवार (20 अगस्त) को नई दिल्ली में हुए इस कार्यक्रम में बेहद भावुक होकर आडवाणी ने कहा, “मैंने कई जन सभाओं को संबोधित किया है। लेकिन कभी सोचा नहीं था कि एक बार ऐसी बैठक में बोलना पड़ेगा, जहां अटल जी नहीं उपस्थित होंगे।”
उन्होंने बताया, “मैं खुशकिस्मत हूं कि अटल जी के साथ मेरी दोस्ती 65 साल तक रही, जिसमें मैंने करीब से उन्हें जाना-समझा। साथ काम किया, अपने अनुभवों को साझा किया। फिल्में तक साथ में देखीं और किताबें भी पढ़ीं”।
प्रार्थना सभा में वाजपेयी की दत्तक पुत्री नमिता भट्टाचार्य और नातिन निहारिका भी मौजूद थीं। आगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “अटल जी का जीवन देश के नाम रहा। युवा पीढ़ी में उन्होंने ठाना था कि वह भारतीयों की सेवा के लिए काम करेंगे। राजनीति में जब एक ही पार्टी का दबदबा होता था, उस दौर में वह इस क्षेत्र में उतरे थे।”
पीएम मोदी के मुताबिक, “विपक्ष में उन्होंने कई साल बिताए। लेकिन अपनी विचारधारा के साथ कभी समझौता नहीं किया। उनके प्रयासों से भारत न्यूक्लियर पावर बना और अपने होनहार वैज्ञानिकों के बलबूते देश ने कई सफल परीक्षण किए। वह कभी भी दबाव में नहीं आए, क्योंकि वह अटल थे।”
वाजपेयी की 13 दिनों की सरकार का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा, “उन्होंने जब 13 दिन की सरकार बनाई थी, तब कोई भी उन्हें समर्थन देने को राजी न था। नतीजतन सरकार गिर गई। कल बजरंग पुनिया ने उन्हें कभी देखा भी नहीं लेकिन उन्होंने अपना स्वर्ण पदक अटल जी को समर्पित किया। मुझे लगता है कि यही उदाहरण उनकी शख्सियत के बारे में बहुत कुछ बयां कर देता है।”
वहीं, गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी प्रार्थना सभा में कहा, “अटल जी प्रधानमंत्री थे, इसलिए मशहूर नहीं हुए। मुझे लगता है कि वह पहले से ही उतने मशहूर थे, जितना कि पीएम बनने के बाद हुए।”