कम बजट से बंगाल का समग्र शिक्षा अभियान प्रभावित
शंकर जालान
भाजपा की अगुआई वाली केंद्र सरकार और सूबे की तृणमूल कांग्रेस की सरकार के बीच वैसे तो कई मुद्दे हैं, जिन पर छत्तीस का आंकड़ा है लेकिन ताजा विवाद शिक्षा को लेकर है। राज्य सरकार का आरोप है कि केंद्र सरकार राशि आबंटित करने के मद में सौतेला व्यवहार कर रही है, जबकि केंद्र सरकार का तर्क है कि प्रदर्शन के आधार पर राशि तय की जाती है। इस आरोप-प्रत्यारोप के बीच राज्य का समग्र शिक्षा अभियान खासा प्रभावित हो रहा है। राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा शासित व बंगाल से कम आबादी वाले राज्य को अधिक धनराशि देकर केंद्र ने बंगाल के प्रति अपना सौतेला रवैया साफ कर दिया है। उन्होंने कहा कि बंगाल को मात्र 1221.94 करोड़ रुपए दिए गए, जबकि भाजपा शासित राज्यों में बिहार को 2954.78 करोड़, मध्य प्रदेश को 2335.49, राजस्थान को 2780.44, उत्तर प्रदेश को 4907.31 और पड़ोसी राज्य असम को 1535.31 करोड़ रुपए देकर केंद्र सरकार ने बता दिया कि वह बंगाल के विकास के लिए कितनी ईमानदार है।
पार्थ चटर्जी के आरोपों के सिरे से खारिज करते हुए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा के मामले में बंगाल की जो स्थिति है उसी के आधार राशि आबंटित की गई है। इसमें पक्षपात और सौतलेपन जैसी कोई बात नहीं है। संबंधित विभाग की कमेटी राज्यों की स्थिति का पता लगाकर राशि आबंटन का प्रस्ताव देती है, जिस पर केंद्र सरकार मुहर लगाती है। उन्होंने कहा कि समग्र शिक्षा अभियान के तहत केंद्र सरकार राज्यों के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें राशि आबंटित करती है। किस राज्य में छात्र व शिक्षक का अनुपात कितना बेहतर है, स्कूल के प्रधानाध्यापक की अलग पहचान है या नहीं और नेशनल एचिवर सर्वे (नैस) में राज्य सरकार ने कितना बेहतर किया है-इसके आधार पर राज्यों को राशि आबंटित की जाती है।
घोष की बात पर सहमति जताते हुए बंगीय शिक्षक व शिक्षाकर्मी समिति के कोलकाता मंडल के सह सचिव स्वप्न मंडल ने कहा कि उनके हिसाब से राज्य में शिक्षा व्यवस्था बेहतर नहीं है। राष्ट्रीय स्तर पर अन्य राज्यों की तुलना में बंगाल का रेकार्ड अच्छा नहीं है, इसलिए केंद्र ने बंगाल को कम राशि आबंटित की है। मालूम हो कि केंद्र सरकार ने देश में शिक्षा के स्तर व गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए चलाई जा रहीं विभिन्न योजनाओं का एकीकरण किया है। कक्षा एक से आठ तक चलाए जाने वाले सर्व शिक्षा मिशन, कक्षा नौ के बाद से चलाए जाने वाले राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के साथ-साथ शिक्षकों के प्रशिक्षण समेत अन्य कार्यक्रमों को इस अभियान में शामिल किया है। अब समग्र शिक्षा अभियान के तहत ही इन तीनों कार्यों को किया जाएगा। वर्ष 2018-19 में इस योजना के तहत लगभग 30 हजार करोड़ रुपए आबंटित किए हैं, जबकि पश्चिम बंगाल के लिए मात्र 1221 करोड़ रुपए ही आबंटित किए गए हैं।