करणी सेना ने नहीं की हिंसा, सीबीआइ जांच हो : कालवी
राजपूत करणी सेना के प्रमुख लोकेंद्र सिंह कालवी ने ‘पद्मावत’ विरोध को आगे बढ़ाने का दावा करते हुए दिल्ली की जनता और सिनेमाघर के मालिकों से फिल्म के बहिष्कार की अपील की है। शनिवार को एक पत्रकार सम्मेलन में कालवी ने दावा किया कि उत्तर भारत के कुल 4318 सिनेमाघरों में से केवल 48 में ‘पद्मावत’ चल रही है, जिनमें से 28 दिल्ली व आसपास के हैं। उन्होंने सिनेमाघरों से ‘पद्मावत’ के हटने तक राजपूत विरोध को जारी रखने, फिल्म निर्माता को फिल्म की लागत देकर ‘पद्मावत’ का अधिकार खरीदने और राजपूतों पर विरोध को लेकर बीते दिनों लगे हिंसक आरोपों की सीबीआइ जांच की मांग उठाई।
कालवी ने दावा किया कि अमदाबाद और गुरुग्राम में हुई हिंसक गतिविधियों में करणी सेना के लोग नहीं थे। उन्होंने कहा, ‘कोई राजपूत ऐसा नहीं कर सकता’। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनादर के सवाल पर लोकेंद्र सिंह कालवी ने कहा, ‘यह सरासर गलत आरोप है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों पर छोड़ा है। करणी सेना तो जनता की अदालत में है और वह इस मुद्दे पर जनता कर्फ्यू चाहती है’।
प्रेस कांफ्रेंस में विरोध के अपील पर अगर हिंसा हुई तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी? इस पर लोकेंद्र सिंह कालवी ने कहा कि वे हिंसा नहीं, बल्कि अपील के लिए यहां आए हैं। उन्होंने सेंसर बोर्ड पर फिल्म के निर्माता के पक्ष में होने का आरोप लगाया। उन्होंने बोर्ड अध्यक्ष प्रसून जोशी को भी मौजूदा स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया। कालवी ने दावा किया कि सरकार की ओर से गठित इतिहासकारों के तीन सदस्यीय बोर्ड की रपट आने से पहले ही सेंसर बोर्ड ने इसे पास कर दिया। उन्होंने कहा, ‘राजपूत समाज के विरोध की भनक प्रसून जोशी को है, इसीलिए उन्होेंने जयपुर साहित्य महोत्सव में आने से मना कर दिया है’। करणी सेना के प्रवक्ता डॉक्टर हिमांशु ने कहा, ‘धन के लिए इतिहास व आस्था से खिलवाड़ एक गलत परंपरा बन रही है। बिना शोध के जोधा अकबर आई और फिर भंसाली ने पद्मावत बनाई। मुनाफा कमाने की होड़ में गलत चीजें नहीं दिखाई जानी चाहिए। हर समाज को इस बाबत सजग रहना होगा’।