करोड़ों खर्च के बावजूद बदहाल पड़ी हैं पुलिस कालोनियां

करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी दिल्ली पुलिस की कालोनियां बदहाल पड़ी हैं। सालों से रंगाई-पुताई नहीं होने के कारण कई पुलिसकर्मी अपने परिवार सहित किराए के घर में रहने को मजबूर हैं। कई कालोनियों में जल बोर्ड का शुल्क लिया जा रहा है, लेकिन पीने का पानी सबमर्सिबल से मिल रहा है। पीडब्लूडी से जिले के अंदर आने के बाद दिल्ली पुलिस की कई कालोनियां स्वच्छ भारत अभियान का मखौल उड़ाती नजर आती हैं। इन कालोनियों के गेट पर महीनों से रोड़ी, बदरपुर व रेता जैसा मलब पड़ा होने और सड़क नीचे व नाले ऊपर बनाकर ठेकेदारों ने कालोनियों की हालत बद से बदतर कर दी है। कालोनियों में बने घरों के आसपास ऐसी बदइंतजामी है कि लोग अपनी गाड़ियां सड़क पर छोड़कर घर आने को मजबूर हैं।

दर्जनों शिकायतें किए जाने के बावजूद यहां कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है। दिल्ली पुलिस के 90 हजार कर्मचारियों में से दस फीसद लोगों को भी पुलिस कालोनियां नसीब नहीं है। कई शाखाओं के लिए तो पुलिस कालोनियों का प्रावधान ही नहीं है, लिहाजा वहां कार्यरत पुलिसवाले अपने वेतन का एक बड़ा हिस्सा किराए में देने को मजबूर हैं। कई पुलिस आयुक्तों की प्राथमिकताओं में शुमार होने के बाद भी नई कालोनियां नहीं बन रही हैं। इसके बावजूद जो कालोनियां हैं, उसके बारे में सूचना के अधिकार के तहत जो जानकारी पुलिस अधिकारियों से मिली है वह भी बहुत संतोषजनक नहीं है। जिन यूनिटों के लिए कालोनियों का प्रावधान नहीं है, उसमें सतर्कता शाखा, विशेष पुलिस इकाई महिला व बच्चे, स्पेशल सेल, रेलवे व मेट्रो, विभागीय जांच प्रकोष्ठ व आर्थिक अपराध शाखा की ओर से इस मामले में कोई सूचना ही नहीं है।

जहां कालोनियां है वहां शिकायतों का अंबार है। उत्तर-पूर्वी जिले में पिछले दो वित्त वर्ष 2015-16 और 2016-17 में 75-75 लाख रुपए आबंटित किए गए। नई दिल्ली जिले में तुगलक रोड, मंदिर मार्ग, तिलक मार्ग, चाणक्यपुरी, अशोका पुलिस लाइंस और तीन मूर्ति पुलिस परिसर में आवासीय कालोनियां हैं। यहां साल 2014-15 में दो करोड़ एक लाख, 2015-16 में एक करोड़ 50 लाख, 2016-17 में एक करोड़ 55 लाख और साल 2017-18 में दो करोड़ 25 लाख रुपए रखरखाव के लिए आबंंटित किए गए। इसी तरह इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के अधीन मेहरमनगर में पुलिस कालोनी है जिसमें 106 क्वार्टर हैं। यहां जनवरी 2015 से 30 मई 2017 तक 13 शिकायतें आर्इं, जिनमें दरवाजे, खिड़की, शीशे बदलने और अन्य सुधार कार्य थे। चतुर्थ वाहिनी में कोई पुलिस क्वार्टर नहीं है पर पुलिस कॉम्पलेक्स नई पुलिस लाइन एस्टेट दफ्तर होने के नाते प्रथम वाहिनी के तहत यहां के लोग भी आते हैं। यहां साल में 150 शिकायतें आती हैं, जो बिजली, पानी व सीवर से संबंधित हैं। पश्चिम जिला में 14 पुलिस कालोनियां हैं जिनमें जनकपुरी, नंगलीजालिब, इंद्रपुरी, नारायणा, पंजाबी बाग, राजौरी गार्डन, टैगोर गार्डन, हरिनगर, तिलकनगर, कीर्तिनगर और मोतीनगर और विकासपुरी है।

 

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