कवि नीरज ने डीएम को लिखा था खत, मांगी थी मरने की इजाजत
कवि नीरज जीवन के अंतिम समय में अपनी बीमारी से इतने टूट गये थे कि उन्होंने प्रशासन से इच्छा मृत्यु मांगी थी। इस बावत उन्होंने अलीगढ़ प्रशासन को पत्र भी लिखा था। 11 जुलाई को अलीगढ़ के डीएम को लिखे गये पत्र में उन्होंने ‘खुद को शरीर से मुक्त होने की इच्छा’ जताई थी। अलीगढ़ के डीएम चंद्र भूषण ने कहा है कि उन्हें कवि नीरज से ऐसा पत्र मिला था। डीएम ने कहा, “11 जुलाई को भेजे गये इस पत्र को रजिस्टर्ज डाक से भेजा गया था, यह पत्र हमलोगों को 16 जुलाई को मिला था, उसी दिन नीरज जी आगरा चले गये थे। फिर भी सीएमओ क को निर्देश दिये गये थे, और उन्हें उनका तुरंत इलाज करने को कहा गया था।”
कवि गोपाल दास नीरज की बेटी कुंडलिका शर्मा ने हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया, “मुझे इसकी जानकारी तब मिली जब उनका इलाज दिल्ली में चल रहा था, ये पता चला था कि उन्होंने अलीगढ़ के डीएम को एक पत्र लिखा था, ये काफी आश्चर्यजनक है, क्योंकि उन्हें एक खुशमिजाज व्यक्ति के तौर पर जाना जाता था, परिवार के सभी लोग उनकी सेवा करने के लिए तैयार रहते थे।” कवि नीरज ने इस पत्र में इच्छा मृत्यु के संबंध में हाल में दिये गये सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है, “कुछ दिनों पूर्व उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि जिन लोगों को शारीरिक पीड़ा के कारण असमर्थता प्राप्त हो जाती है, वे लोग स्वेच्छया मृत्युवरण कर सकते हैं, मेरा स्वास्थ्य एवं शरीर अब इस योग्य नहीं है कि कुछ भी कर सके, इसलिए जो शरीर मेरे लिए अब बड़ा बोझ बन गया है उससे मुक्त होना चाहता हूं।” पत्र में कवि नीरज ने मृत्यु का वरण करने के लिए हेलीडेथ इंजेक्शन की मांग की थी।
कवि गोपालदास नीरज 16 जुलाई को आगरा पहुंचे थे। परिवारवालों के मुताबिक उस दिन तक उनकी तबियत सामान्य थी। 17 जुलाई को उनकी तबियत खराब हो गई। 18 जुलाई को उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया। 19 जुलाई को 93 साल की अवस्था में उनकी मृत्यु हो गई। 21 जुलाई को अलीगढ़ में उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। इससे पहले आगरा में भी उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई। आगरा में नीरज की अंतिम यात्रा मे भी सैकड़ों लोग शामिल हुए। कवि सम्मेलन समिति द्वारा तैयार रथ में उनका पार्थिव शरीर रखा गया। इस दौरान उनके लिखे गीत…ऐ भई जरा देखकर चलो… गूंजते रहे। करीब एक किलोमीटर तक अंतिम यात्रा के बाद एंबुलेंस से नीरज की पार्थिव देह को अलीगढ़ ले जाया गया। नीरज के पुत्र मिलन प्रभात और नाती ने एंबुलेंस से पार्थिव देह को अलीगढ़ ले जाने को कहा ताकि वहां राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार हो सके।