कश्मीर: आईपीएस अफसर का भाई बना आतंकी, पीएचडी कर रहा शख्स भी हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल

अपने कमांडर बुरहान वानी की बरसी पर हिजबुल मुजाहिदीन ने उन 20 से ज्यादा युवकों की तस्वीरें जारी की हैं, जो इस साल 21 मई के बाद आतंकी संगठन में शामिल हुए हैं। इनमें शम्स-उल-हक की तस्वीर भी शामिल है, जो एक आईपीएस अफसर का भाई है। इस साल मई में हक लापता हो गया था। इससे महीने भर पहले शोपियां स्थित उसके पैतृक निवास में एक एनकाउंटर में 7 आतंकी मारे गए थे। सोशल नेटवर्किंग साइटों पर पोस्ट इन तस्वीरों में युवक हथियारों के साथ नजर आ रहे हैं। एक पुलिस अफसर ने द इंडियन एक्सप्रेस से बताया, ‘आज जिनकी तस्वीरें सामने आई हैं, इनके बारे में हमारे पास पहले से इनपुट्स थे।’

पुलिस अफसर ने कहा, ‘बीते दो महीने से उन्होंने (आतंकी संगठन ने) अपने नए रंगरूटों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर नहीं डाली थीं। वे शायद इस दिन का इंतजार कर रहे थे।’ पुलिस अफसर ने कहा कि इतने सारे लोगों की तस्वीरें जारी करना आतंकवाद को चमकदार ढंग से पेश करने की कोशिश हो सकती है। उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगता है कि उन्होंने जानबूझकर बुरहान वानी की बरसी का दिन चुना। बुरहान ही वह शख्स था जिसने आतंकवाद की तरफ युवाओं को आकर्षित करने के लिए सबसे पहले सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया।’ बता दें कि आतंकी संगठन में शामिल होने वाले अधिकतर नए रंगरूट दक्षिणी कश्मीर से हैं। इसके अलावा, उत्तरी और मध्य कश्मीर से भी हैं।

इन आतंकियों में शम्स-उल-हक, वसीम अहमद रादर, तौसीफ अहमद ठोकर, इरफान राशिद डार और फिरोज अहमद डार भी शामिल हैं। हक मूल रूप से दक्षिणी कश्मीर के शोपियां के एक गांव का रहने वाला है और श्रीनगर के हैदरपुरा में रह रहा था। लापता होने से पहले वह यूनानी मेडिसीन के कोर्स में डिग्री ले रहा था। वहीं, वसीम अहमद रादर दक्षिणी कश्मीर के कुलगाम का रहने वाला है। अंग्रेजी में मास्टर्स डिग्री करने के बाद वह डॉक्टरेट कर रहा था। तौसीफ अहमद ठोकर अवंतीपुरा का रहने वाला है। उसने गणित में मास्टर्स की डिग्री ली है। आतंकी संगठन में शामिल होने वालों में एक स्पेशल पुलिस ऑफिसर इरफान राशिद डार भी है। वह 27 जून को पंपोर स्थित पुलिस स्टेशन से अपनी सर्विस राइफल के साथ फरार हो गया था।

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