कश्मीर पर मुस्लिम देशों का दबाव नहीं आया काम, चीन ने कहा-भारत से बात कर पाकिस्तान सुलझाए मुद्दा
चीन ने कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को लागू करने के इस्लामी सहयोग संगठन (ओआईसी) के आह्वान को खारिज करते आज कहा कि भारत और पाकिस्तान को बातचीत के जरिए इस मसले का हल द्विपक्षीय तरीके से करना चाहिए । कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को लागू करने के ओआईसी के संपर्क समूह के आह्वान के बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा कि भारत और पाकिस्तान को इस मसले को सुलझाना चाहिए । लू ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘चीन ने संबंधित रिपोर्ट पर गौर किया है । कश्मीर मुद्दे पर चीन का रुख पूरी तरह स्पष्ट है ।’’ उन्होंने कहा, ‘‘चीन को उम्मीद है कि भारत और पाकिस्तान संवाद एवं संचार बढ़ा सकते हैं और संबंधित मुद्दों से उचित तरीके से निपट सकते हैं । वे संयुक्त तौर पर क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता की रक्षा कर सकते हैं ।’’
ओआईसी में पाकिस्तान सहित 57 सदस्य हैं । यह संगठन कश्मीर पर अक्सर प्रस्ताव पारित करता है और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पर अमल की मांग करता है। दो दिन पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा के इतर ओआईसी के संपर्क समूह की बैठक हुई थी । चीन ने ऐसे समय में यह प्रतिक्रिया जाहिर की जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने मांग की कि कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को लागू किया जाए । उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से कश्मीर में एक विशेष दूत नियुक्त करने की भी अपील की ।
भारत ने आज (22 सितंबर) पाकिस्तान पर निशाना साधते हुये उसे ‘टेररिस्तान’ और ‘शुद्ध आतंक’ की जमीन करार दिया जहां वह एक फलता-फूलता उद्योग है जो वैश्विक आतंकवाद को पैदा करने के साथ साथ उसका निर्यात करता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपनी बेलाग टिप्पणी में भारतीय प्रतिनिधि ने कहा कि यह कितनी अजीब बात है कि जिस देश ने ओसामा बिन लादेन को संरक्षण दिया और मुल्ला उमर को शरण दे रखी है वही देश खुद को पीड़ित बता रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर मुद्दा उठाये जाने के बाद भारत ने अपनी प्रतिक्रिया देने के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए ये टिप्पणी की। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव एनम गंभीर ने कहा, ‘‘अब तक पाकिस्तान के सभी पड़ोसी तथ्यों को तोड़-मरोड़ने, धूर्तता, बेईमानी तथा छल-कपट पर आधारित कहानियां तैयार करने की उसकी चालों से भलीभांति परिचित हैं। ’’ उन्होंने जोर देकर कहा कि वैकल्पिक तथ्यों को तैयार करने के प्रयासों से वास्तविकता नहीं बदल जाती।