कश्मीर में राजनीतिक प्रक्रिया को बहाल करेंगे : मलिक
जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक प्रक्रिया की बहाली वहां के नवनियुक्त राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मुख्य एजंडा होगा। मलिक के मुताबिक, पंचायत चुनाव कराने के बाद वे वहां के विभिन्न राजनीतिक दलों से वार्ता करेंगे। वहां बतौर राज्यपाल भेजे जा रहे मलिक पहले ऐसे नेता हैं, जो पेशेवर राजनीतिज्ञ की पृष्ठभूमि से हैं। अपनी इस पहचान को वे कश्मीर की समस्या हल करने की कोशिश के दौरान इस्तेमाल करेंगे। मलिक ने कहा, वहां के सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ मेरी पहचान है। मैं सभी से बात करूंगा और रास्ता निकलेगा। बगैर राजनीतिक प्रक्रिया के कश्मीर का मसला नहीं सुलझेगा।
मलिक गुरुवार को राज्यपाल के तौर पर शपथ लेंगे। जम्मू कश्मीर में कर्ण सिंह के बाद इस पद पर काबिज होने वाले वे प्रथम राजनीतिज्ञ होंगे। मलिक बुधवार को एक चार्टर्ड विमान से श्रीनगर पहुंचे। इससे पहले जनसत्ता से फोन पर बातचीत में उन्होंने कहा, मेरा पहला काम लोगों के भरोसे पर खरा उतरना है और वहां पहुंचने के बाद हालात की जानकारी लूंगा। प्रदेश की व्यवस्था को राजनीतिक मुख्यधारा में लाने की जिम्मेदारी को वे चुनौतीपूर्ण मानते हैं। उन्होंने कहा, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जनता के बीच के व्यक्ति को वहां का राज्यपाल बनाकर सकारात्मक संकेत देने की कोशिश की है। सरकार का स्पष्ट मत है कि राज्य में लोगों की चुनी हुई सरकार होनी चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा ही जम्मू-कश्मीर को लेकर गंभीर रहे हैं। वहां का विकास एजंडे में सबसे ऊपर है। क्या अलगाववादियों से बातचीत करेंगे? इस सवाल पर मलिक ने कहा कि जो भी मुख्यधारा में आना चाहे, स्वागत रहेगा। केंद्र सरकार की ओर से नियुक्त वार्ताकार बातचीत कर ही रहे हैं। कोशिश रहेगी कि अलगाववादी बातचीत की मेज पर आएं। मलिक ने कहा कि युवाओं को मुख्यधारा से जोड़कर ही आतंक के रास्ते की ओर से उनका ध्यान हटाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि वे प्रदेश में विकास को लेकर क्षेत्रीय असंतुलन दूर करने की कोशिश करेंगे। लेकिन यह काम भी सबको साथ लेकर होगा। हाल तक कश्मीर की सत्ता में भाजपा और पीडीपी के संबंधों में इसी मुद्दे पर खटास और फिर सरकार से समर्थन वापसी के बाद वहां राज्यपाल शासन लगाया गया है। इन हालात में पीडीपी को कैसे साधेंगे? मलिक ने कहा, सभी राजनीतिक दलों को साथ लेकर चलेंगे। पीडीपी के दिवंगत नेता और पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद हों या नेशनल कांफ्रेंस के डॉ फारूक अब्दुल्ला, सभी से मेरे रिश्ते रहे हैं। पीडीपी हो या नेकां या फिर वहां के कांग्रेसी या अन्य दलों के लोग, सबसे बात कर ही राजनीतिक प्रक्रिया की बहाली का रास्ता निकालेंगे। राजनीतिक दलों से बात कर तय करेंगे कि निलंबित विधानसभा ही बहाल की जाए या फिर से चुनाव कराए जाएं।