कहां गया भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस? -भागलपुर में बांध टूटने पर कांग्रेस ने नीतीश कुमार से पूछा

कहलगाँव के बटेश्वर स्थान गंगा पंप नहर योजना का बांध उदघाट्न से 15 घंटे पहले टूट गया। इस घटना के लिए वहां के कांग्रेसी विधायक सदानंद सिंह ने इंजीनियरों और ठेकेदारों की घोर लापरवाही को जिम्मेदार करार दिया है। राजद कार्यकर्ताओं ने इस नहर निर्माण को भ्रष्टाचार की जीती जागती मिसाल बताई है। और इसके खिलाफ जांच की मांग को लेकर बुधवार को एक दिवसीय धरना पर बैठे है। कांग्रेस विधायक ने तंज कसा कि करप्शन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जीरो टालरेंस कहां गया ? पीरपैंती के राजद विधायक रामविलास पासवान ने इस घटना के लिए इंजीनियरों और ठेकेदारों की मिलीभगत को जिम्मेदार बताया है। बुधवार सुबह 10 बजे 40 साल से बेसब्री से इंतजार हो रही नहर का विधिवत उद्धाटन होना था। मंगलवार शाम को ट्रायल के तौर पर पंप को जैसे ही चालू कर पानी नहर में छोड़ा गया वैसे ही कहलगांव एनटीपीसी के पास बने बांध की दीवार करीब छह फीट ध्वस्त हो गई और पानी का बहाव इतना तेज था कि देखते ही देखते सीआईएसएफ कालोनी की 150 मीटर दीवार बह गई।

यही नहीं पानी लोगों के क्वार्टर में प्रवेश कर गया।इतना ही नहीं आसपास का इलाका जलमग्न हो गया। अकबरपुर और रानी लघरिया गांवों में पानी प्रवेश कर गया। वहीं कहलगांव के सत्कार चौक और मुरकटिया चौक की तरफ आने जाने वाला रास्ता भी पानी में डूब गया। रात में ही डीएम आदेश तितमारे और एसएसपी मनोज कुमार मौके पर पहुंचे। एसडीआरएफ की टीम बचाव काम में लगाई गई। नहर के पंप को बंद कराया।जल संसाधन के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह बुधवार को दोपहर फोन पर बताया कि इस बाबत न तो जांच कमिटी बनाने की जरूरत है और न ही किसी के खिलाफ कार्रवाई की गई है। पटना जाने के बाद कार्रवाई के बिंदु पर सलाह की जाएगी। यों नहर के पास गलत कलवर्ट बनाने की वजह से यह हालात पैदा हुए। जिसकी मरम्मत का निर्देश दिया गया है। दो महीने के अंदर परियोजना की तमाम खामियों और रिसाव को दुरुस्त करा लेने का उन्होंने भरोसा दिलाया गया। पुल के पास बना कलवर्ट एनटीपीसी ने 1994-95 में बनवाया था। जो बगैर एनओसी के चालू कर दिया गया। ऐसा प्रधान सचिव का कहना है। कहलगांव एनटीपीसी के कार्यपालक निदेशक राकेश सैमुअल ने एनओसी लेकर ही ओवर ब्रिज चालू करने की बात पत्रकारों से कहीं। हैरत की बात यह है कि राज्य सरकार के इंजीनियर और अधिकारियों ने ऐसे कमजोर कलवर्ट को नजरदांज कैसे कर दिया ? साथ ही उदघाटन की पूर्व संध्या को ही ट्रायल क्यों किया गया ? यह अनुत्तरित सवाल खड़ा है।

इससे पहले भी 7, 11 और 19 जुलाई को परियोजना के उदघाटन की तारीख टल चुकी है। अब तो खैर बांध की दीवार ही टूट गई। यहां एक दफा फिर बताना जरूरी है कि इस योजना पर 389. 31 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। यह लिफ्ट सिंचाई दर्जे की योजना है। इसके तहत भागलपुर के कहलगांव ब्लाक के शेखपुरा ग़ांव के नजदीक गंगानदी के तट पर स्थित कौआ व गंगा नदी के संगम के नजदीक पंप हाउस नंबर एक बनाया गया है। इससे आगे डेढ़ किलोमीटर शिवकुमारी पहाड़ी के नजदीक पंप हाउस नंबर दो बनाया है। इन दोनों से पानी के दो स्टेज पर 17 और 27 मीटर लिफ्ट कर मुख्य नहर व इससे निकली वितरण प्रणाली को सिंचाई के लिए उपलब्ध कराया जाना है। इस योजना से भागलपुर ज़िले की 18620 हेक्टेयर जमीन और झारखंड के गोड्डा ज़िले की 22658 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई हो सकेगी। शुरुआत में यह योजना 13.88 करोड़ रुपये की थी। 1977 में योजना आयोग ने इसकी मंजूरी दी थी। हालात देखने पर लगता है अभी नहर के बांध को दुरुस्त कर चालू करने में थोड़ा और इंतजार करना पड़ेगा।

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