कांग्रेस का चुनाव चिह्न रद्द करने की मांग, आचार संहिता उल्लंघन बता चुनाव आयोग पहुंचा वकील

दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रवक्ता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने कांग्रेस का चुनाव चिह्न हाथ का ‘पंजा’ रद्द करने की मांग की है। इस सिलसिले में बीजेपी नेता ने सोमवार (29 जनवरी) को मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत और चुनाव आयोग के कानूनी सलाहकार एस के मेंदीरत्ता से मुलाकात की और उनसे कांग्रेस का चुनाव चिह्न रद्द करने की मांग की है। उपाध्याय ने कहा है कि चुनाव के दिन मतदान केंद्र पर 100 मीटर की दूरी तक चुनाव चिह्न का प्रदर्शन जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 130 और चुनाव आचारसंहिता के नियम 4 का उल्लंघन है। उपाध्याय का तर्क है कि चूंकि पंजा मानव अंग है, जिसका प्रदर्शन हरेक मतदाता मतदान के दिन वोटिंग से पहले और बाद में, मतदान केंद्र से 100 मीटर के अंदर और बाहर अक्सर किया करता है। इससे किसी खास पार्टी के चुनाव चिह्न का प्रदर्शन होता है। उपाध्याय का तर्क है कि यह प्रदर्शन भी जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 130 और चुनाव आचारसंहिता के नियम 4 का उल्लंघन है। लिहाजा, आयोग कांग्रेस का चुनाव चिह्न रद्द करे ताकि आयोग के दिशा-निर्देश और आदर्श चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन ना हो।
जनसत्ता.कॉम से बातचीत में उपाध्याय ने बताया कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 130 और चुनाव आचार संहिता के नियम के मुताबिक मानव शरीर का कोई भी अंग चुनाव चिह्न नहीं हो सकता है। बावजूद इसके 1977 से कांग्रेस का चुनाव चिह्न हाथ का ‘पंजा’ बना हुआ है। उपाध्याय ने कहा कि उनके आवेदन पर चुनाव आयोग ने सकारात्मक रुख अपनाते हुए मामले में कार्यवाही का भरोसा दिया है। बतौर उपाध्याय चुनाव आयोग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए बहुत जल्द कांग्रेस को नोटिस भेजने और मामले की सुनवाई के लिए एक बेंच बनाने का भरोसा दिया है।
बता दें कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 130 और आदर्श चुनाव आचार संहिता के नियम के मुताबिक मतदान से 48 घंटे पहले चुनाव प्रचार बंद हो जाएगा। इसके अलावा मतदान केंद्रों पर 100 मीटर की दूरी तक मतदान के दिन चुनाव चिह्र का प्रदर्शन वर्जित है। गौरतलब है कि 1950 में कांग्रेस को चुनाव आयोग ने दो बैलों की जोड़ी चुनाव चिह्न आवंटित किया था लेकिन 1969 में पार्टी का विभाजन होने के बाद चुनाव आयोग ने इस सिंबल को फ्रीज कर दिया और कामराज धड़े वाली कांग्रेस को तिरंगे में चरखा और नई कांग्रेस को गाय और बछड़ा का चुनाव चिह्न आवंटित हुआ। बाद में 1977 में चुनाव आयोग ने गाय बछड़ा चुनाव चिह्न की जगह कांग्रेस को पंजा निशान आवंटित कर दिया था।