कारगिल में देश के लिए लड़ते-लड़ते शहीद हुए थे पिता, बेटी ने बहादुरी पर लिख डाली किताब
जिस पिता की गोद में वह कभी नहीं खेल पाई, जिनकी उंगली पकड़कर जीवन का पहला कदम रखना कभी नसीब नहीं हुआ, देश के लिए जीवन न्यौछावर कर देने वाले ऐसे पिता को बेटी ने अनोखे ढंग से श्रद्धांजलि दी है। बेटी ने शहीद पिता के जीवन के अनुभवों पन्नों पर उकेरा है। कारगिल युद्ध में शहीद होने वाले मेजर पद्मपाणि की 19 वर्षीय बेटी अपराजिता ने अपने पिता के अनछुए पहलुओं पर एक किताब ”द कॉफी टेबल” लिखी है। अपराजिता के द्वारा लिखी गई किताब ”द कॉफी टेबल” का शनिवार (30 जून) को हैदराबाद में विमोचन किया गया। अपराजिता का जन्म मेजर पद्मपाणि के शहीद होने के तीन महीने बाद हुआ था, इसलिए वह पिता की तस्वीर देखते हुए और जीवन के किस्से सुनकर बड़ी हुई हैं। अपराजिता ने मीडिया को बताया कि किताब में उनके पिता के द्वारा घर भेजी गई चिट्ठियों का संग्रह, कुछ तस्वीरें और उनकी जिंदगी पर लिखा एक संक्षिप्त विवरण शामिल है।
किताब को संयुक्त रूप से मेजर जनरल एन श्रीनिवास राव (जनरल ऑफिसर कमाडिंग तेलंगाना उपक्षेत्र) और अपराजिता ने लॉन्च किया। इस मौके पर राव ने कहा, “मेजर पद्मपाणि आचार्य ने अपनी टीम का नेतृत्व दुश्मनों की गोलीबारी और गोलाबारी के बीच किया और खुद को मिले मिशन को पूरा करने के लिए जीवन कुर्बान कर दिया। वह न सिर्फ सैनिकों के लिए आदर्श हैं, बल्कि राष्ट्र के लिए भी आदर्श हैं।” बता दें कि कारगिल युद्ध में अद्भुत साहस का परिचय देने के लिए शहीद मेजर पद्मपाणि को मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मान से नवाजा गया था।
हैदराबाद के रहने वाले मेजर पद्मपाणि दो राजपूताना राइफल्स में थे और कारगिल युद्ध में कमांडर के रूप में कंपनी का नेतृत्व किया था। 28 जून, 1999 को मेजर पद्मपाणि एक पलटन का नेतृत्व करने के दौरान दुश्मन पर काबू करने के लिए गोलों की बारिश के बीच अपना अभियान चलाने के दौरान टोलोलिंग में शहीद हो गए थे। कारगिल युद्ध पर आधारित एक बॉलीवुड फिल्म में भी मेजर पद्मपाणि का किरदार उकेरा गया था, जिसमें नागार्जुन ने उसकी भूमिका को निभाया था।