कासगंज: बहन की बारात को पूरे गांव में घुमाना चाहता है दलित भाई, दबंगों ने अटकाए रोड़े

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कासगंज में दबंगई का एक और मामला सामने आया है। एक दलित युवक अपनी बहन की बारात को पूरे गांव में घुमाना चाहता है, लेकिन गांव के दबंग इसमें रुकावट डाल रहे हैं। यहां तक कि पुलिस ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। पुलिस का कहना है कि ऐसा करने से गांव में अप्रिय घटना हो सकती है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह मामला निजामपुर का है। युवती के भाई ने बताया, ‘मैंने इसको लेकर पुलिस अधीक्षक के यहां प्रार्थना पत्र दिया था। इसके बाद दारोगा गांव में आए थे। विवेचना में उन्होंने लिखा कि मेरी बहन की बारात पूरे गांव में नहीं निकल सकती है। जाटव समुदाय के लोग पूरे गांव में बारात नहीं ले जा सकते हैं। ऐसा करने पर (अप्रिय) घटना भी घटित हो सकती है।’ युवक ने बताया कि उनका घर गांव के शुरुआत में ही है और बाईपास से भी बारात उनके घर तक पहुंच सकती है। वहीं, दलित युवती ने आरोप लगाया कि गांव का ठाकुर समाज नहीं चाहता कि उनकी बारात गांव में घूमे। युवती ने कहा कि वह चाहती है कि उसकी बारात गांव भर में घूमे। हालांकि, स्थानीय पुलिस के रवैये से निराशा हुई है।

परंपरा के खिलाफ: ग्रामीणों ने जाटव युवक की मांग को परंपरा के खिलाफ करार दिया है। एक बुजुर्ग ग्रामीण ने बताया कि गांव में आज तक बारात नहीं घूमी है। बुजुर्ग के अनुसार, जिसका जहां घर है, बारात वहीं तक जाती है। उन्होंने कहा, ‘पहले भी बारात घर तक ही जाती थी। अब ये चाहते हैं कि उनकी बारात बीच गांव होकर निकले। ग्रामीणों को कहना है कि परंपरागत तौर पर जो चला आ रहा है, वही चलना चाहिए।’ इस ग्रामीण के मुताबिक, बीच में सड़क बहुत संकड़ी है, जिसके कारण बारात निकल भी नहीं सकेगी। बता दें कि कुछ महीने पहले राजस्थान के अजमेर में अगड़ी जाति के लोगों द्वारा दलित को घोड़ी पर चढ़ने से रोकने का मामला सामने आया था। हालांकि, स्थानीय प्रशासन की तत्परता से बिना किसी अप्रिय घटना के पुलिस सुरक्षा में दलित का विवाह संपन्न हुआ था। हरियाणा के चरखी-दादरी में भी एक ऐसी ही घटना सामने आई थी। दलित दूल्हे के घोड़ी चढ़ने से ऊंची जाति के लोग इस हद तक नाराज हो गए कि उन्होंने दूल्हे और उसके परिवार के साथ मारपीट की थी। वहां भी ठाकुर समाज के लोगों ने ही आपत्ति जताई थी। राजस्थान के ही एक अन्य मामले में दलित समुदाय का युवक पंचायत का फैसला ठुकराते हुए घोड़ी पर चढ़ा था। बता दें कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा दलितों के साथ होने वाले भेदभाव को रोकने के लिए कानून बनाए गए हैं। इसके बावजूद देश के विभिन्न हिस्सों से दलितों के साथ भेदभाव के मामले सामने आते रहते हैं।

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