किन 20 MLA की सदस्यता पर लटकी तलवार? घटकर 46 हो जाएगी AAP विधायकों की संख्या?

चुनाव आयोग ने शुक्रवार (19 जनवरी) को आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों को लाभ का पद मामले में अयोग्य घोषित करार दिया है और उनकी सदस्यता रद्द करने की सिफारिश राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजी है। अब गेंद राष्ट्रपति के पाले में हैं। अगर राष्ट्रपति चुनाव आयोग की सिफारिश पर इन विधायकों की सदस्यता रद्द करते हैं तो 70 स दस्यों वाली दिल्ली विधान सभा में आप के 46 विधायक रह जाएंगे। हालांकि, इससे अरविंद केजरीवाल सरकार की चाल पर कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन आप और केजरीवाल सरकार के चरित्र पर बुरा असर पड़ सकता है। केजरीवाल सरकार के लिए यह एक बड़ा झटका है। अगर इन विधायकों की विधायकी खत्म होती है तो दिल्ली में फिर से 20 सीटों पर उप चुनाव होंगे। ऐसे में सभी सीटों को बरकरार रख पाना केजरीवाल के लिए उससे भी बड़ी चुनौती होगी।

बता दें कि इस मामले में चुनाव आयोग ने कुल 21 विधायकों को नोटिस भेजा था लेकिन राजौरी गार्डेन से विधायक जरनैल सिंह ने इस्तीफा दे दिया था। लिहाजा, अब जिन 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की गई है उनमें केजरीवाल सरकार में मंत्री कैलाश गहलोत के अलावा तेज-तर्रार महिला नेता अलका लांबा, आदर्श शास्त्री, जरनैल सिंह (तिलक नगर) भी शामिल हैं। जिन सभी 20 विधायकों का नाम शामिल है उनकी लिस्ट नीचे है-

1. आदर्श शास्त्री, द्वारका

2. जरनैल सिंह, तिलक नगर

3. नरेश यादव, मेहरौली

4. अल्का लांबा, चांदनी चौक

5. प्रवीण कुमार, जंगपुरा

6. राजेश ऋषि, जनकपुरी

7. राजेश गुप्ता, वज़ीरपुर

8. मदन लाल, कस्तूरबा नगर

9. विजेंद्र गर्ग, राजिंदर नगर

10. अवतार सिंह कालका, कालकाजी

11. शरद चौहान, नरेला

12. सरिता सिंह, रोहताश नगर

13. संजीव झा, बुराड़ी

14. सोम दत्त, सदर बाज़ार

15. शिव चरण गोयल, मोती नगर

16. अनिल कुमार बाजपेयी, गांधी नगर

17. मनोज कुमार, कोंडली

18. नितिन त्यागी, लक्ष्मी नगर

19. सुखबीर दलाल, मुंडका

20. कैलाश गहलोत, नजफ़गढ़

बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने भी अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप सरकार की ओर से उसके 21 विधायकों को संसदीय सचिवों के रूप में नियुक्त करने के आदेश को खारिज कर दिया था। वहीं, केंद्र सरकार ने संसदीय सचिवों की नियुक्ति का विरोध किया था। केंद्र ने कहा था कि मुख्यमंत्री के संसदीय सचिव पद के अलावा इस पद का न तो संविधान में कोई स्थान है और न ही दिल्ली विधानसभा (अयोग्यता निवारण) कानून 1997 में।

केंद्र सरकार ने न्यायालय से कहा था कि इस तरह की नियुक्ति कानून सम्मत नहीं है। इसके बाद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली सरकार ने दिल्ली असेंबली रिमूवल ऑफ डिस्क्वॉलिफिकेशन ऐक्ट-1997 में संशोधन किया था। इस विधेयक का मकसद संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद से छूट दिलाना था, लेकिन तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इसे नामंजूर कर दिया था।

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