किसानों को है पंजाब सरकार के मसविदे पर आपत्ति
पंजाब की सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के लिए किसान आंदोलन गले की फांस बन गया है। सूबे में सत्ता परिवर्तन के बावजूद न तो किसान आंदोलन थमने का नाम ले रहे हैं और न ही किसान आत्महत्याएं रुक रही हैं। कांग्रेस पार्टी ने सत्ता में आने से पहले प्रदेश के किसानों को तीन माह के भीतर कर्ज मुक्त करने का भरोसा दिया था लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ है। राज्य सरकार द्वारा किसानों की कर्ज माफी के लिए जो योजना बनाई गई है वह नाकाफी साबित हो रही है और सरकार का तर्क है कि उत्तर प्रदेश व महाराष्ट्र के मुकाबले पंजाब द्वारा किसानों का अधिक कर्ज माफ किया जा रहा है। प्रदेश सरकार के तीन माह के कार्यकाल में 200 से अधिक किसान आत्महत्या कर चुके हैं। प्रदेश में रोजाना औसतन तीन किसान आत्महत्या कर रहे हैं।
इसके बावजूद प्रदेश सरकार कागजी कार्रवाई में व्यस्त है। अब प्रदेश के किसानों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए सड़कों पर उतरना शुरू कर दिया है। राज्य सरकार ने अगर किसानों की मांगों को गंभीरता से नहीं लिया तो आंदोलन उग्र रूप धारण कर सकता है और सरकार की मुसीबतें बढ़ सकती हैं। पंजाब के आंदोलनकारी किसानों को अब दूसरे राज्यों के किसान संगठनों का भी समर्थन मिलना शुरू हो गया है।भारतीय किसान यूनियन (सिद्धूपुर), भारतीय किसान यूनियन (लखोवाल), भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) समेत सात किसान संगठन पंजाब सरकार के खिलाफ अलग-अलग स्थानों पर मोर्चा खोले हुए हैं। किसानों की कई मांगे ऐसी हैं जो पिछले लंबे समय से चली आ रही हैं। पंजाब की पूर्व तथा मौजूदा सरकार ने इस दिशा में कभी भी गंभीरता नहीं दिखाई।
राष्ट्रीय किसान महासंघ के बैनर तले सभी राज्यों के किसानों ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया है। इसके कारण यह तय माना जा रहा है कि आने वाले समय में पंजाब व हरियाणा से शुरू होने वाला किसान आंदोलन देशभर में फैल सकता है। किसानों पांच दिन तक मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के पैतृक शहर पटियाला में धरना दे चुके हैं। अब किसानों ने फिर से 11 नवंबर को पंजाब सरकार की घेराबंदी का ऐलान कर दिया है। भारतीय किसान यूनियन (सिद्धूपुर) पंजाब के अध्यक्ष जगजीत सिंह तथा गुरनाम सिंह चढूनी के अनुसार केंद्रीय पूल में सर्वाधिक योगदान देने वाले सूबे पंजाब के किसान इस समय बेहद संकट के दौर से गुजर रहे हैं। सरकारों की अनदेखी के कारण किसान लगातार खेती से मुंह मोड़ रहे हैं। हालात यह हैं कि अपनी फसल को उचित दाम न मिलने के कारण पंजाब के किसान अब जमीन को बिल्डरों के हाथों बेचकर खुद शहरों की तरफ पलायन करने लगे हैं।
पिछले सप्ताह चंडीगढ़ से सटे मोहाली में पंजाब के आलू उगाने वाले किसानों ने सैकड़ों क्विंटल आलू सड़कों पर फेंककर अपना विरोध दर्ज कराया। किसान नेताओं के अनुसार सभी किसान संगठन प्रदेश में अलग-अलग आंदोलन भले ही चला रहे हैं लेकिन सरकार से अपनी मांगे पूरी करवाने के लिए वे एकजुट हैं। किसान आंदोलन जब चरम पर पहुंचा तो मुख्यमंत्री ने एक कमेटी का गठन करके पूरे प्रकरण से पल्ला झाड़ लिया। प्रदेश के किसान संगठन आज भी संघर्ष की राह पर हैं और सरकार अभी भी चुप है।किसानों के निशाने पर इस समय पंजाब के साथ-साथ हरियाणा की सरकार भी है। हरियाणा सरकार ने किसानों की कर्ज माफी से पूरी तरह से इनकार कर दिया है। इस कारण देशभर के किसान संगठनों ने अब 24 नवंबर को कुरुक्षेत्र से किसान जागृति यात्रा शुरू करने का ऐलान किया है। यह यात्रा 23 फरवरी 2018 को समाप्त होगी और इसी दिन दिल्ली कूच होगा।
कर्ज में डूबे अन्नदाता को हर सरकार ने छला
किसानों को कर्ज माफी के लिए जो पंजाब सरकार के बनाए मसौदे पर एतराज है। उनका तर्क है कि सरकार अगर इस योजना के तहत कर्ज माफ करती है तो वह किसी भी खाते में फिट नहीं बैठेगी। इससे न तो किसान कर्जदार रहेगा और न ही कर्ज मुक्त। सरकार के मसविदे के अनुसार सरकार एक अप्रैल, 2017 से लेकर अधिसूचना की तारीख तक किसानों के ब्याज को भी अपने सिर लेने को तैयार है। इससे किसानों को 400 करोड़ रुपए का और अतिरिक्त लाभ मिलेगा। सहकारी ऋण संस्थानों के अलावा बैंकों की राशि का समूचा भुगतान पड़ाववार किया जाएगा। यह मसविदा अर्थशास्त्री डॉक्टर टी.हक्क के नेतृत्व में विशेषज्ञों के समूह की सिफारिशों पर आधारित है जिससे सूबे भर के 10.25 लाख किसानों को लाभ होगा।
2.5 एकड़ तक के उन सीमांत किसानों के मामलों में समूची योग्य राशि माफ की जाएगी जिनकी तरफ फसली कर्जे के बकाए की देनदारी दो लाख रुपए तक की होगी। अगर भुगतान करने वाली योग्य राशि दो लाख रुपए से उपर होगी तो उस मामलों में कर्ज राहत दो लाख रुपए तक ही दी जाएगी। छोटे किसानों के मामलों में (ढाई एकड़ से पांच एकड़ तक) दो लाख रुपए तक की कर्ज राहत दी जाएगी। कमेटी के जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार तकरीबन 20.22 लाख बैंक खातों का 31 मार्च, 2017 तक 59,621 करोड़ रुपए का फसली कर्ज बकाया है। किसानों का तर्क है कि पंजाब सरकार ने कर्ज माफी की इस योजना को पूरी तरह से उलझा दिया है। इसमें कुछ भी स्पष्ट नहीं है।