कुमार विश्वास को राज्य सभा का टिकट नहीं मिला तो भड़के समर्थक, अरविंद केजरीवाल पर यूं बरसे
आप से कुमार विश्वास की आस टूटने के बाद उनके समर्थक भावुक हैं। आम आदमी पार्टी की घोषणा के तुरंत बाद कुमार विश्वास ने कहा कि उन्हें सच बोलने की सजा मिली है और उन्हें यह शहादत कबूल है। कुमार विश्वास ने कटाक्ष करते हुए आम आदमी पार्टी द्वारा चुने गये राज्यसभा उम्मीदवार को ‘महान क्रांतिकारी’ बताते हुए उन्होंने कहा कि वह उन्हें शुभकामना देते हैं। कुमार विश्वास ने अपने समर्थकों को धैर्य रखने को कहा है लेकिन सोशल मीडिया पर कुमार विश्वास के फैन्स आप सरकार पर अपना गुस्सा निकाल रहे हैं। कुमार विश्वास के फेसबुक पेज पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ सी आ गई है। प्रिंस सिंह भारत लिखते हैं, ‘आम आदमी पार्टी का आम ही साड़ हुआ है, किसी टोकरी में एक आम सड़ जाए तो उसे उस टोकरी से निकाल कर फेंक देना चाहिए, वो सड़ा आम केजरीवाल है।’ अमन रघुवंशी ने लिखा, ‘सबको लड़ना पड़ा है अपना अपना युद्ध, चाहे वो राम हो या हो गौतम बुद्ध।, कुमार विश्वास जी आप जैसे सच्चे व्यक्ति की देश को बहुत जरूरत है । आप आगे बढिये बिना निराश हुए।’
कीर्ति चौहान ने कहा,’कुमारजी यह तो होना ही था आप का रास्ता शायद सही था पर साथी गलत पसंद किया था आपने।’ सुमन ने लिखा, ‘ सृजन का बीज हो मिट्टी में जाया हो नहीं सकते, ये षड्यंत्र उन्ही के लिए घातक होगा।’ समुति मिश्रा ने ट्वीटर पर राय दी, ‘जब पता था आदमी है केजरीवाल घटिया, तो क्यों खिंच रहे थे अब तक उसके रथ का पहिया।’ प्रमीला कहती हैं कि, ‘सुशील गुप्ता कांग्रेसी हैं और एन डी गुप्ता बीजेपी समर्थक, इतना साफ हो गया कि, अगर हाफिज सईद इन गुप्ताओं से ज्यादा पैसे देता तो केजरीवाल उसे भी राज्य सभा भेज देते।’ एक यूजर ने लिखा, ‘भैया आप विजयी हुए हो, हारेंगे तो ये अहंकारी लोग, अहंकार का जल्द खात्मा होगा, आज के इंसिडेंट से आपकी इज्जत मेरी नज़रों में और बढ़ गयी , सदैव आपके साथ।’
बता दें कि आम आदमी पार्टी ने अपने राज्यसभा उम्मीदवारों के तौर पर बुधवार (3 जनवरी) को संजय सिंह, सुशील गुप्ता और एन डी गुप्ता को नामित किया। संजय सिंह पार्टी गठन के समय से ही उससे जुड़े हुए हैं। सुशील गुप्ता दिल्ली के एक कारोबारी हैं और एन डी गुप्ता एक चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। मुख्यमंत्री अरंविंद केजरीवाल के आवास पर हुई एक बैठक में यह निर्णय लिया गया जिसमें करीब पार्टी के 56 विधायकों ने हिस्सा लिया। पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) ने कुछ देर बाद ही बैठक की और निर्णय को औपचारिक रूप से मंजूरी दी।