कुरान की कुछ आयतों को ‘आपत्तिजनक’ बता फ्रांस में उठी बदलाव की मांग, भड़के मुसलमान

यूरोपीय देश फ्रांस में एक घोषणापत्र तैयार किया गया है, जिसे लेकर बवाल हो गया है। दरअसल इस घोषणापत्र में मांग की गई है कि इस्लाम धर्म के सर्वोच्च ग्रंथ कुरान से वो आयतें हटायी जाएं, जो कि यहूदी विरोधी भावनाओं को बढ़ावा देती हैं। फ्रांस मीडिया में भी एक पत्र प्रकाशित किया गया है, जिसमें बताया गया है कि इस्लामिक चरमपंथ के उभार के साथ ही पेरिस से यहूदी परिवारों का पलायन बढ़ गया है। वहीं इस घोषणा पत्र से फ्रांस का मुस्लिम समुदाय नाराज हो गया है और इसे इस्लाम को बदनाम करने की साजिश करार दे रहा है। मुस्लिम नेताओं का कहना है कि जिन लोगों ने इस घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए हैं, वो कुछ चरमपंथी समुदाय के कारण पूरे मुस्लिम समुदाय को बदनाम कर रहे हैं। बता दें कि इस घोषणा पत्र पर करीब 300 लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी और पूर्व प्रधानमंत्री मैनुएल वाल्स जैसे लोग शामिल हैं।

वहीं फ्रांस में घोषणा पत्र जारी होने के एक दिन बाद ही 30 मुस्लिम इमामों ने फ्रैंच न्यूजपेपर ला मोंडे में एक जवाबी पत्र प्रकाशित कराया है, जिसमें घोषणा पत्र के कंटेंट को घृणावादी नस्लवाद करार दिया है। उल्लेखनीय है कि हाल के समय में फ्रांस में यहूदी विरोधी हमलों में काफी तेजी आयी है। पेरिस के एक अखबार में छपी एक खबर के मुताबिक 2006 से अब तक 11 यहूदियों को इस्लामिक चरमपंथियों द्वारा सिर्फ इसलिए कत्ल कर दिया गया क्योंकि वह यहूदी थे। अभी हाल ही में यहूदी महिला पर हुए एक हमले ने पूरे फ्रांस को हिलाकर रख दिया है। बीते मार्च माह में 85 वर्षीय एक यहूदी महिला को 2 इस्लामिक चरमपंथियों ने 11 बार चाकू घोंपकर बेरहम तरीके से हत्या कर दी थी। इतना ही नहीं हमलावरों ने महिला के शरीर में चाकू घोंपने के बाद उसके शरीर को जला दिया था। यह घटना भी यहूदी विरोधी भावना के तहत अंजाम दी गई थी।

बता दें कि पूरे यूरोप में आधा मिलियन से ज्यादा यहूदी समुदाय के लोग रहते हैं। लेकिन हाल के समय में ये लोग यूरोप से पलायन करके इजरायल जा रहे हैं। यहूदियों के पलायन का कारण यूरोप में आ रहे इमाग्रेंट्स और उनकी यहूदी विरोधी भावना है। वहीं कुरान की आयतों में बदलाव की मांग करने वाले घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने वाले लेखक पास्कल ब्रुकनेर का कहना है कि उनकी इस्लाम को कटघरे में खड़ा करने की मंशा नहीं है, बल्कि वह चाहते हैं कि मुस्लिम सद्भावना के साथ इस्लाम में सुधार करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *