कृत्रिम बरसात की योजना में समस्याओं के बादल

अजय पांडेय 

जहरीले प्रदूषण की धुंध की चादर में लिपटी दिल्ली को राहत दिलाने के नाम पर हेलिकॉप्टर से बारिश कराने की ‘हवाई’ योजना की चर्चा से दिल्ली की सरकार सुर्खियां चाहे जितनी बटोर ले लेकिन इस योजना को अमली जामा पहनाना बेहद मुश्किल है। हेलिकॉप्टर उड़ाने वाली कंपनी पवन हंस के अधिकारियों ने सरकार को दो टूक बता दिया है कि इस प्रकार का कोई कदम उठाने से पहले उसे मुकम्मल तैयारी करनी पड़ेगी। सरकार के पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन ने पवन हंस और केंद्र व दिल्ली सरकार से संबंधित अलग-अलग एजंसियों के साथ लंबी बैठक की। लेकिन इस बैठक का जो परिणाम निकला वह यह कि सरकार के लिए कृत्रिम बारिश कराने की योजना को अमल में लाना आसान नहीं है। बैठक में मौजूद अधिकारियों की मानें तो सरकार को बताया गया है कि उसे एक घंटे तक पानी बरसाने के लिए प्रति हेलिकॉप्टर दो से चार लाख रुपए तक प्रति हेलिकॉप्टर भुगतान करना पडेÞगा। एक हेलिकॉप्टर की क्षमता एक हजार लीटर पानी बरसाने की है तो दूसरे की तीन हजार लीटर। पहली श्रेणी वाले हेलिकॉप्टर का किराया दो लाख रुपए प्रति घंटा है तो दूसरी श्रेणी वाले का चार लाख रुपए प्रति घंटा। यदि दिल्ली सरकार यह मोटा खर्च उठाने को तैयार भी हो जाती है तब भी केंद्र सरकार की मर्जी और उसके सहयोग के बिना ऐसा करना संभव नहीं होगा।

बैठक में बताया गया कि नई व मध्य दिल्ली के इलाके के सुरक्षा कारणों से हवाई उड़ान वर्जित क्षेत्र करार दिया गया है। जहां नई दिल्ली इलाके में राष्टÑपति, प्रधानमंत्री और तमाम अतिविशिष्ट लोगों की रिहाइश के अलावा संसद और तमाम अन्य संवेदनशील ठिकाने हैं, वहीं मध्य दिल्ली में लाल किले से लेकर जामा मस्जिद तक की तमाम ऐतिहासिक धरोहर हैं। ऐसे में इस इलाके में हेलिकॉप्टर उड़ाने की इजाजत तब तक नहीं मिल सकती जब तक केंद्र सरकार किसी आपातस्थिति के मद्देनजर ऐसा करने की इजाजत न दे। इसके अलावा शहर के बाकी हिस्सों में भी हेलिकॉप्टर से पानी बरसाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय, नागरिक उड्डयन मंत्रालय, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, भारतीय सेना और वायु सेना से इजाजत लेनी होगी। इनके अलावा दिल्ली में प्रशासन से संबंधित कुछ अन्य एजंसियों से भी अनुमति की दरकार होगी।

मंत्री गोपाल राय ने कहा कि सरकार पवन हंस सहित तमाम अन्य संबंधित लोगों के संपर्क में है। दूसरी ओर अधिकारियों का कहना है कि पवन हंस ने सरकार को यह भी बताया है कि हेलिकॉप्टर से बारिश कराने के लिए शहर में जगह-जगह र्इंधन व पानी भरने के लिए ग्रिड बनाना होगा दूसरी ओर इस कृत्रिम बरसात के लिए विदेशी तकनीक की भी जरूरत होगी ताकि सही तरीके से पानी बरसे। दिलचस्प यह है कि इस पूरी कवायद के बाद भी हेलिकॉप्टर तभी पानी बरसा सकेंगे जब दृश्यता का स्तर कम से कम डेढ़ किलोमीटर हो। इसके अलावा हेलिकॉप्टरों के उड़ान भरने के लिए गुरुग्राम, रोहिणी, ग्रेटर नोएडा आदि इलाकों में हेलिपैड भी बनाने होंगे। बहरहाल, दिल्ली सरकार स्टैंडर्ड आॅपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) तैयार करने में जुटी है ताकि इस दिशा में आगे बढ़ा जा सके।
इजाजत के बाद की परेशानी
हेलिकॉप्टर से बारिश कराने के लिए शहर में जगह-जगह र्इंधन व पानी भरने के लिए ग्रिड बनाना होगा दूसरी ओर इस कृत्रिम बरसात के लिए विदेशी तकनीक की भी जरूरत होगी ताकि सही तरीके से पानी बरसे। इस पूरी कवायद के बाद भी हेलिकॉप्टर तभी पानी बरसा सकेंगे जब दृश्यता का स्तर कम से कम डेढ़ किलोमीटर हो। इसके अलावा हेलिकॉप्टरों के उड़ान भरने के लिए गुरुग्राम, रोहिणी, ग्रेटर नोएडा आदि इलाकों में हेलिपैड भी बनाने होंगे।
इनकी भी सहमति जरूरी
शहर के बाकी हिस्सों में भी कृत्रिम बारिश के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय, नागरिक उड्डयन मंत्रालय, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, भारतीय सेना और वायु सेना से इजाजत लेनी होगी। इनके अलावा दिल्ली में प्रशासन से संबंधित कुछ अन्य एजंसियों से भी अनुमति की दरकार होगी।

जरूरी है केंद्र की इजाजत
नई और मध्य दिल्ली के कई इलाके सुरक्षा कारणों से उड़ान वर्जित क्षेत्र हैं। नई दिल्ली में राष्टÑपति, प्रधानमंत्री और तमाम अतिविशिष्ट लोगों की रिहाइश के अलावा संसद जैसी संवेदनशील जगहें हैं। मध्य दिल्ली में लाल किला से लेकर जामा मस्जिद जैसी ऐतिहासिक धरोहरें हैं। ऐसे में जब तक आपातस्थिति के मद्देनजर केंद्र उड़ान की इजाजत नहीं देता, बारिश करना मुमकिन नहीं।

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