केंद्रीय मंत्री ने पीएम को बताया टाइगर और विपक्ष को कौवा, बंदर, लोमड़ी, कांग्रेस बोली- टाइगर को जंगल भेजो
केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना बाघ से और विपक्ष की तुलना कौवों, बंदर और लोमड़ियों से की है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद बने नए राजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए और 2019 के लोकसभा चुनाव की पृष्ठभूमि तैयार करते हुए उन्होंने कांग्रेस और जेडीएस समेत उन सभी विपक्षी पार्टियों के नेताओं की तुलना आपत्तिजनक तरीके से की जिन्होंने कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में मंच साझा कर केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ एकजुटता का संदेश दिया था। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक कर्नाटक के करवार में हेगड़े ने एक जनसभा में कहा, ”एक तरफ कौवे, बंदर, लोमड़ियां एक साथ हो गए हैं, दूसरी तरफ एक बाघ है। 2019 में बाघ को चुनें।” कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली ने हेगड़े के बयान पर वैसी ही भाषा का इस्तेमाल करते हुए पलटवार किया। वीरप्पा मोइली ने एएनआई से कहा, ”बाघ जंगली हो गया है और उसे जंगल में भेज देना चाहिए।”
राजनीतिक गलियारों में यहां तक कहा जा रहा है कि अनंत कुमार हेगड़े का बयान पिछले दिनों बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के द्वारा दिए विवादित बयान से प्रेरित था, जिसमें शाह ने विपक्ष की तुलना में, सांपों, कुत्तों और बिल्लियों जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया था। हेगड़े ने कांग्रेस पर यह बोलते हुए एक और करारा हमला किया कि उसके 70 वर्षों के शासन का नतीजा है कि लोग सोने और चांदी की कुर्सियों पर बैठने की बजाय प्लास्टिक की कुर्सियों पर बैठने को मजबूर हुए हैं। हेगड़े ने लोगों से प्लास्टिक की कुर्सियों पर बैठे होने की बात पूछते हुए कहा, ”ऐसा कांग्रेस के शासन की वजह है जिसने हम पर 70 वर्षों राज किया, आप चांदी की कुर्सी पर बैठे होते।”
हेगड़े ने एक मौके पर कहा, ”अपने कुल के बारे में जाने बिना जो लोग अपने आप को धर्मनिरपेक्ष कहते हैं, उनकी खुद की पहचान नहीं होती है। वे अपने खानदान के बारे में न जानने वाले बुद्धिजीवि हैं।” दिसंबर में हेगड़े ने यह कहकर सियासी पारा चढ़ा दिया था कि वह संविधान का सम्मान करते हैं लेकिन आने वाले दिनों में उसे बदल दिया जाएगा। संविधान पर हेगड़े के विवादित बयान को देखते हुए विपक्षी दलों ने उन्हें मंत्री पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस पार्टी की तरफ से कहा गया था, ”विपक्षी दलों की राय है कि जो मंत्री संविधान में विश्वास नहीं रखता है उसका मंत्रियों की परिषद में कोई स्थान नहीं होना चाहिए। प्रधानमंत्री को इस बारे में कार्रवाई करनी चाहिए।”