केंद्रीय मंत्री बोले- स्कूल-कॉलेजों को वास्तु के हिसाब से बनाना जरूरी, न्यूटन से पहले मंत्रों के जरिए गति का नियम किया गया था डिकोड
चार्ल्स डार्विन के सिद्धांत पर अंगुली उठाने वाले केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह ने इस बार महान वैज्ञानिक आइजेक न्यूटन पर विवादित बयान दिया है। केंद्रीय मंत्री ने स्कूल-कॉलेजों का निर्माण भी वास्तु के हिसाब से कराने की सलाह दी है। उन्होंने अध्ययन-अध्यापन के लिए इसे महत्वपूर्ण बताया है। आईपीएस अधिकारी रह चुके सत्यपाल सिंह ने सेंट्रल एडवायजरी बोर्ड ऑफ एजुकेशन (CABE) की बैठक (15-16 जनवरी) के दौरान यह बात कही थी। इसमें केंद्रीय मंत्रियों के अलावा कई राज्यों के शिक्षा मंत्री भी शामिल हुए थे। बता दें कि CABE शिक्षा को लेकर नीति बनाने बनाने वाली सर्वोच्च सलाहकारी संस्था है। ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय मंत्री ने बैठक में कहा था, ‘न्यूटन द्वारा गति का नियम देने से बहुत पहले ही मंत्रों में इसे डिकोड कर दिया गया था। कई मंत्र हैं जो गति के नियमों के बारे में बताते हैं। ऐसे में पाठ्यक्रम में परंपरागत जानकारियों को जोड़ना जरूरी है।’
यह कोई पहला मौका नहीं है जब सत्यपाल सिंह ने वैज्ञानिक नियमों पर सवाल उठाए हैं। इससे पहले उन्होंने डार्विन के विकास के सिद्धांत पर प्रश्नचिह्न लगाया था। केंद्रीय मंत्री ने कहा था, ‘पृथ्वी पर जब मानव को देखा गया था तब से वे मानव ही हैं। हमारे पूर्वजों ने बंदर के आदमी बनने का कभी भी उल्लेख नहीं किया।’ बता दें कि अखिल भारतीय वैदिक सम्मेलन में सत्यपाल सिंह द्वारा दिए गए इस बयान पर वैज्ञानिक समुदाय ने असहमित जताई थी। शोध-अनुसंधान से जुड़े संगठनों ने केंद्रीय मंत्री के बयान के खिलाफ साझा बयान जारी कर इसका कोई वैज्ञानिक आधार न होने की बात कही थी।
CABE की इसी बैठक में क्लासरूम में उपस्थिति दर्ज कराने के लिए ‘यस सर’ के बजाय ‘जय हिंद’ बोलने और देश भर के स्कूलों में राष्ट्रगान गाने और झंडा फहराने को अनिवार्य करने के सुझाव दिए गए थे। मध्य प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री कुंवर विजय शाह ने यह सलाह दी थी। संस्कृति राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. महेश शर्मा ने CABE की बैठक में मूल्य और संस्कृति आधारित शिक्षा को समय की जरूरत करार दिया था। उन्होंने इसके लिए एनसीईआरटी को मौजूदा सिलेबस में बदलाव करने का सुझाव दिया था। उन्होंने युवाओं में गर्व की भावना भरने के लिए शिक्षा और संस्कृति को एकीकृत करने की बात भी कही थी।