केंद्र के अस्पतालों में 3,850 नर्सों की कमी

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के अलावा दिल्ली में चल रहे केंद्र सरकार के बाकी अस्पतालों में करीब 3,850 नर्सों की कमी है। इसकी वजह से अस्पतालों में प्रतिदिन का कामकाज बहुत बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है लेकिन न सरकार और न अस्पतालों के पास इनकी भर्ती की योजना है।
नर्सों के लंबे समय से खाली पड़े पदों पर काम चलाने के लिए कुछ नर्सें ठेके पर रख ली गई थीं। नर्सिंग समुदाय के लंबे आंदोलन के बाद दिसंबर 2014 में नर्सों के 693 स्थाई पदों की भर्ती के लिए केंद्र सरकार ने विज्ञापन निकाला। इसके लिए 15 जनवरी 2015 को परीक्षा तारीख तय की गई लेकिन ठेके पर भर्ती हुर्इं नर्सों ने इसके खिलाफ अदालत में आवेदन कर स्थगन आदेश ले लिया। इसके बाद अस्पतालों में आधे अधूरे ढंग से ठेके पर नियुक्त नर्सों से ही काम चलाया जा रहा है।

नवंबर 2016 तक मामला अधर में रहा। बाद में दी गई तारीख पर नवंबर में हाइकोर्ट ने ठेके की भर्ती के नुकसान के मद्देनजर स्थायी भर्ती करने का आदेश दिया और कहा कि ठेके पर काम करने वालीं नर्सें भी परीक्षा देकर चयन में शामिल हों। खैर किसी तरह परीक्षा 22 जनवरी 2017 को हुई।
इस परीक्षा का परिणाम फरवरी में आना था लेकिन आया अप्रैल में, अब अप्रैल के बाद भी कई महीने ऐसे की निकल गए हैं लेकिन अभी तक कोई नियुक्ति नहीं हो पाई है। कलावती शरन में 4 जुलाई को बुलाया मेडिकल जांच आदि भी हो गई और तब जाकर नियुक्ति पत्र दे दिया गया। नियुक्ति पत्र तो दे दिया गया पर नियुक्ति नहीं दी गई।

नियुक्तिपत्र में लिखा था कि 25 जुलाई के पहले ज्वाइन करें लेकिन अभी तक ज्वाइन नहीं कराया। इसी तरह सफदरजंग और आरएमएल में अभी तक ज्वाइन नहीं कराया गया है, केवल प्रक्रिया ही चल रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अतिरिक्त महानिदेशक नर्सिंग रति बालाचंद्रन का कहना है कि इस मामले में उनको कुछ पता नहीं है। यह तो अस्पताल वाले जाने कि कब भर्ती होगी कब नहीं। हमारा काम केवल नीति बनाना है। उधर, सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एके राय ने कहा है कि नर्सों की भर्ती में अक्सर लंबा समय लग जाता है।

 

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