केरल में टूटेंगे सदियों पुराने जातिगत बंधन, 6 दलित बनेंगे पुजारी
त्रावणकोर देवस्वोम (मंदिर) नियुक्ति बोर्ड ने दलित समुदाय से 6 लोगों को पुजारी बनाकर इतिहास रच दिया है। बोर्ड द्वारा जारी सूची में गैर-ब्राह्मण समुदाय के 36 लोगों के नाम शामिल हैं। बोर्ड ने पहले भी गैर-ब्राह्मणों को पुजारी बनाया है, मगर यह पहली बार है जब दलितों का चयन किया गया हो। गुरुवार (5 अक्टूबर) को फाइनल की गई लिस्ट में 62 पुजारी हैं, जिनसे में 36 गैर-ब्राह्मण हैं। इन पुजारियों का चयन लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के जरिए हुआ जिसका मॉडल राज्य लोक सेवा आयोग की तरह है। अब तक नियुक्तियां संबंधित देवस्वोम बोर्ड करता था और गैर-ब्राह्मणों का चयन दुर्लभ होता था। इस बार सूची में ब्राह्मण समुदाय के 26 पुजारियों का नाम शामिल है। ऑल इंडिया ब्राह्मण फेडरेशन के अक्कीरमन कालिदासन भट्टाथिरीपद ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा, ‘हम मंदिरों में गैर-ब्राह्मणों को पुजारी बनाए जाने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन एक ऐसा सिस्टम होना चाहिए जो यह सुनिश्चित करे कि जिनका चयन हो रहा है, उन्हें तांत्रिक मंत्रों की जानकारी है। नियुक्तियां आरक्षण के नियमों का पालन करने के लिए नहीं होनी चाहिए। यह पूरी तरह से ज्ञान और मंदिरों के विश्वास पर होनी चाहिए।”
62 पुजारियों की यह सूची त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड के मंदिरों में खाली पदों के लिए है। अन्य मंदिरों के लिए भी पुजारियों की सूची जल्द जारी की जाएगी। बोर्ड के नियंत्रण में 1,252 मंदिर हैं और पुजारियों की निर्धारित संख्या करीब 2,500 है।
बोर्ड के इस निर्णय का थोड़ा प्रतिरोध होने की आशंका जताई जा रही है। जहां केरल पुलयार महासभा अध्यक्ष टीवी बाबू ने बोर्ड के फैसले का ‘क्रान्तिकारी’ बताया, वहीं मलयाला ब्राह्मण समाजं के अध्यक्ष एन अनिल कुमार ने कहा कि ‘मंदिरों में आरक्षण से मंदिरों की पवित्रता खत्म हो जाएगा। पुजारी कोई एक पद भर नहीं है बल्कि एक रस्म है। आरक्षण केवल नौकरी के लिए अमल में लाया जा सकता है। वर्तमान निर्णय मंजूर नहीं है।’