कैग की रिपोर्ट से बड़ा खुलासा: नीतीश सरकार में विधायकों और अधिकारियों के बीच बांट दिए गए दो करोड़ के गिफ्ट

बिहार में सरकारी कंपनियों ने बीते कुछ सालों में विधायकों, अधिकारियों और कुछ पत्रकारों पर अचानक ही बड़ी मेहरबानी दिखाई हैं। सरकारी कंपनियों की इस मेहरबानी का खुलासा नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक यानी सीएजी की रिपोर्ट से हुआ है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में साफ-साफ कहा है कि करीब छह सरकारी कंपनियों ने साल 2014-16 के बीच जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को दिल खोलकर उपहार बांटे हैं। इस खुलासे के बाद बिहार के सियासी गलियारे में हड़कंप मच गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी कंपनियों ने इन दो सालों में करीब 70 लाख रुपये की घड़ियां, 90 लाख रुपये के फोन और 10 लाख के सूटकेश समेत कई कीमती गिफ्ट अधिकारियों, विधानमंडल के सदस्यों और पत्रकारों को दिये।

दिलचस्प बात यह भी है कि कैग के इस महत्वपूर्ण रिपोर्ट को खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा में रखा। इतना ही नहीं कैग ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि राज्य में संचालित सार्वजनिक क्षेत्र के 56 उपक्रमों ने वर्ष 2015-17 के दौरान अपना लेखा-जोखा यानी इन दो सालों में हुए मुनाफे और घाटे का ब्यौरा भी पेश नहीं किया है। रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि राज्य में संचालित सार्वजनिक क्षेत्र के 74 उपक्रमों में से फिलहाल 30 ही काम कर रहे हैं।

कैग ने बतलाया है कि कार्यरत उपक्रमों में से 10 उपक्रमों को वर्ष 2015-17 के दौरान 278.18 करोड़ रुपए का फायदा हुआ है जबकि अन्य को करोड़ों का नुकसान भी हुआ है। इस रिपोर्ट के साथ ही सीएजी ने घाटे में चल रहे उपक्रमों तथा बंद पड़े उपक्रमों को लेकर कहा है कि इनके अस्तित्व में बने रहने से सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है। सीएजी ने राज्य सरकार से घाटे में चल रहे सभी उपक्रमों की फिर से समीक्षा करने को भी कहा है।

गौर हो कि वर्ष 2016 में बिहार में माननीयों को गिफ्ट देने के मामले पर जमकर राजनीति भी हुई थी, जिसके बाद भाजपा के कई नेताओं ने इसे लौटाने का निर्णय लिया था। विरोधी दल के नेताओं ने कहा था कि शिक्षा विभाग को शिक्षकों को देने के लिए पैसे नहीं हैं, लेकिन विधायकों व विधान पार्षदों को गिफ्ट देने के लिए फंड है!

बता दें कि इस वर्ष अप्रैल माह में सीएजी ने बिहार सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा था कि राज्य सरकार करीब 5000 करोड़ रूपये का कोई हिसाब किताब नहीं दे रही है। यह वित्त वर्ष 2016-17 में राज्य के बही-खातों के बारे में पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया था। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि राज्य सरकार के संदेही खातों में रकम बढ़ती जा रही है।

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