कैबिनेट विस्तार पर कांग्रेस ने कहा, नए और प्रमोट मंत्री अयोग्य

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कैबिनेट विस्तार को लेकर कांग्रेस ने तीखा हमला बोला है। पार्टी ने नए और पदोन्नत मंत्रियों को अयोग्य बताया है। उन्होंने कहा कि कुछ मंत्रियों को प्रदर्शन के आधार पर मंत्रिमंडल से बाहर किया गया है- इससे स्पष्ट है कि मोदी सरकार ने अपनी ‘पहाड़ जैसी असफलता’ को स्वीकार कर लिया है। पार्टी ने पूछा कि अगर विकास और कामकाज का एजंडा प्राथमिकता थी तो मंत्रिमंडल विस्तार की पूरी प्रक्रिया से प्रधानमंत्री मोदी अलग-थलग क्यों रहे? क्यों सिर्फ अमित शाह ही सक्रिय रहे? कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने कहा कि ऐसा लगता है कि भारत के प्रधानमंत्री अमित शाह हैं। उन्होंने मंत्रिमंडल की औसत आयु का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री ने वरिष्ठ नागरिकों के क्लब का गठन किया है। मनीष तिवारी ने कहा कि खास आदमियों को जिन लोगों ने फायदा पहुंचाया, उन्हें मंत्रिमंडल विस्तार में पुरस्कृत किया गया है।

तिवारी के मुताबिक इस सरकार में कौशल विकास और रोजगार पर कोई काम नहीं हो पाया। इसीलिए कलराज मिश्र, राजीव प्रताप रूड़ी और बंडारू दत्तात्रेय को मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया गया। तिवारी ने कहा कि सबसे फायदे में धर्मेंद्र प्रधान रहे, जिन्हें मोदी के करीबी एक उद्योगपति को लगातार फायदा पहुंचाने का पुरस्कार मिला। ऊर्जा मंत्रालय का काम देखते हुए पीयूष गोयल भाजपा के खजांची का भी काम देख रहे थे। जाहिर है, बतौर खजांची उनका काम मोदी को पसंद आया है। मनीष तिवारी ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रिमंडल का विस्तार किया और कुछ नए मंत्रियों को शपथ दिलाई, कई को पद से हटाया। इसमें आश्चर्यजनक यह है कि सारी प्रक्रिया से वे खुद बाहर दिखे। सारी प्रक्रिया अमित शाह चला रहे थे। ऐसा लगता था कि भारत के पीएम अमित शाह हैं। पहली बार ऐसा हुआ है कि पीएम नरेंद्र मोदी जो मंत्रिमंडल के मुखिया हैं, जिनके साथ बाकी मंत्री काम करते हैं- वह ऐसे अलग-थलग थे। या तो उनमें हिम्मत नहीं थी कि अपने मंत्रियों के कामकाज के बारे में कुछ कहें या उनकी सरकार में कोई दिलचस्पी नहीं रही।’

तिवारी ने कहा कि मंत्री अमित शाह के घर इस्तीफा देने के लिए जा रहे थे। ऐसा कभी नहीं हुआ। मंत्रियों की आयु का जिक्र करते हुए कांग्रेस ने कहा कि ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री ने वरिष्ठ नागरिकों के क्लब का गठन किया है। मंत्रियों की औसत आयु 60.44 साल बनती है। तिवारी ने कहा, ‘जिस मुल्क में लोगों की औसत आयु 27 साल है। वहां युवाओं के प्रतिनिधित्व को लेकर यह हाल है। यह वह प्रधानमंत्री हैं, जो भारत के नौजवानों की आशाओं और अपेक्षाओं को लेकर लंबे-लंबे भाषण दिया करते थे।’

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