कैराना: जिन्होंने 2014 में बीजेपी को चढ़ाया था सर माथे, उन्होंने ही गिरा दिया औंधे मुंह

बीजेपी के लिए उत्‍तर प्रदेश के उपचुनावों में हार सिलसिला खत्‍म होने का नाम नहीं ले रहा है। राज्‍य के पूर्वी हिस्‍से के बाद भाजपा को अब पश्चिमी यूपी में भी झटका लगा है। कैराना लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में राज्‍य में सत्‍तारूढ़ पार्टी की प्रत्‍याशी मृगांका सिंह को करारी हार का सामना करना पड़ा है। मृगांका बीजेपी के दिवंगत सांसद हुकुम सिंह की बेटी हैं। उनके असामयिक निधन के बाद यह सीट रिक्‍त हुई थी। भाजपा ने गुर्जर समुदाय और सहानुभूति वोट की उम्‍मीद में मृगांका को ही चुनाव मैदान में उतारने का फैसला किया था। लेकिन, चुनावी नतीजों से स्‍पष्‍ट हो गया है कि भाजपा को चार साल पहले जिन्‍होंने सर-माथे चढ़ाया था, इस बार उन्‍होंने ही औंधे मुंह गिरा दिया। भाजपा की यह रणनीति पूरी तरह से विफल रही। चुनाव परिणाम से स्‍पष्‍ट है कि मृगांका को न तो गुर्जर समुदाय का वोट मिला और न ही सहानुभूति काम आई।

मृगांका को पिता से कम मिले वोट: मृगांका सिंह कैराना के लिए कोई नया चेहरा नहीं हैं। उनके पिता हुकुम सिंह की गिनती गुर्जर समुदाय के कद्दावर नेताओं में की जाती है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में लोगों ने हुकुम सिंह पर जमकर न केवल प्‍यार, बल्कि वोट भी बरसाए थे। भाजपा के दिवंगत नेता को 5.65 लाख मत (तकरीबन 50 फीसद) मिले थे। सपा, बसपा और निर्दलीय को मिले मतों का कुल योग भी इस आंकड़े तक नहीं पहुंचता है। लेकिन, उपचुनावों में मृगांका को पिता से सवा लाख कम मत मिले। यह माना जा रहा है कि भाजपा प्रत्‍याशी को सहानुभूति वोट तो दूर की बात अपने ही समुदाय के लोगों ने वोट न‍हीं किया। मृगांका को इस बार महज 4.36 लाख मत ही मिले। वहीं, सपा, बसपा और कांग्रेस समर्थित राष्‍ट्रीय लोकदल की प्रत्‍याशी तबस्‍सुम हसन को 4.81 लाख मत प्राप्‍त हुए। इस तरह मृगांका सिंह को 44 हजार से ज्‍यादा मतों से हार का मुंह देखना पड़ा।

सीएम योगी ने लगाया था पूरा दम: भाजपा ने कैराना चुनाव जीतने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी। उपचुनाव होने के बावजूद उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने मृगांका के पक्ष में जोरदार चुनाव प्रचार किया था। लेकिन, उनकी अपील मतदाताओं को लुभा नहीं सकी। कैराना उपचुनाव में हार को योगी आदित्‍यनाथ की लोकप्रियता से भी जोड़ कर देखा जा रहा है।

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