कैसे जीती आखिरी बाजी, दिमाग में क्या चल रहा था, शतंरज के वर्ल्ड चैंपियन डी गुकेश ने सब कुछ बताया

फिडे वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप 2024 में चीन के डिफेंडिंग चैंपियन डिंग लिरेन को हराकर विश्व के सबसे कम उम्र के वर्ल्ड चेस चैंपियन बने डी गुकेश ने चैंपियन बनने के बाद पहली बार किसी टीवी चैनल को इंटरव्यू दिया है.

फिडे वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप 2024 में चीन के डिफेंडिंग चैंपियन डिंग लिरेन को हराकर विश्व के सबसे कम उम्र के वर्ल्ड चेस चैंपियन बने डी गुकेश ने चैंपियन बनने के बाद पहली बार किसी टीवी चैनल को इंटरव्यू दिया है. डी गुकेश ने एनडीटीनी से बात करते हुए कहा है कि उन्होंने 6 साल की उम्र से चेस खेलना शुरू किया था और विश्वनाथन आनंद उनके आदर्श हैं. इस दौरान उन्होंने कई सवालों के जवाब दिए. डी गुकेश ने इस दौरान कहा कि उन्हें इसकी उम्मीद नहीं थी कि वो इस चैंपियनशिप को जीतेंगे. गुकेश का चैंपियन बनने के बाद जोरदार स्वागत हुआ था और इसको लेकर भी उन्होंने जवाब दिया है.

कैसे थे आखिरी मोमेंट

यह बहुत रोमांचक और भावनात्मक था. मैंने उस गेम को जीतने की उम्मीद नहीं की थी. लेकिन जब यह हुआ तो मैं इमोशनल हो गया.

NDTV Super Exclusive Interview: कैसे जीती आखिरी बाजी, दिमाग में क्या चल रहा था, शतंरज के वर्ल्ड चैंपियन डी गुकेश ने सब कुछ बताया

D Gukesh Exclusive to NDTV: फिडे वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप 2024 में चीन के डिफेंडिंग चैंपियन डिंग लिरेन को हराकर विश्व के सबसे कम उम्र के वर्ल्ड चेस चैंपियन बने डी गुकेश ने चैंपियन बनने के बाद पहली बार किसी टीवी चैनल को इंटरव्यू दिया है.

Read Time:5 mins

Share

https://www.ndtv.com/video/embed-player/?id=875056&category=embed&autostart=1&pWidth=100&pHeight=100&embed_type=story&mute=0&autostart=1&mutestart=true&ctitle=1&miniplayer=1&cache=2022&source=

D Gukesh Exclusive: डी गुकेश ने चैंपियन बनने के बाद पहली बार किसी टीवी चैनल को इंटरव्यू दिया है.

फिडे वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप 2024 में चीन के डिफेंडिंग चैंपियन डिंग लिरेन को हराकर विश्व के सबसे कम उम्र के वर्ल्ड चेस चैंपियन बने डी गुकेश ने चैंपियन बनने के बाद पहली बार किसी टीवी चैनल को इंटरव्यू दिया है. डी गुकेश ने एनडीटीनी से बात करते हुए कहा है कि उन्होंने 6 साल की उम्र से चेस खेलना शुरू किया था और विश्वनाथन आनंद उनके आदर्श हैं. इस दौरान उन्होंने कई सवालों के जवाब दिए. डी गुकेश ने इस दौरान कहा कि उन्हें इसकी उम्मीद नहीं थी कि वो इस चैंपियनशिप को जीतेंगे. गुकेश का चैंपियन बनने के बाद जोरदार स्वागत हुआ था और इसको लेकर भी उन्होंने जवाब दिया है.

कैसे थे आखिरी मोमेंट

यह बहुत रोमांचक और भावनात्मक था. मैंने उस गेम को जीतने की उम्मीद नहीं की थी. लेकिन जब यह हुआ तो मैं इमोशनल हो गया.PlayUnmute

Loaded: 1.02%Fullscreen

सबसे मुश्किल राउंड कौन सा था?

मैंने उम्मीद नहीं की थी कि मैं आखिरी गेम जीतूंगा, क्योंकि जो पोजिशन थी वो ड्रॉ की तरफ जा रही थी. मैं लगातार पुश कर रहा था, मैं जीत की कोशिश कर रहा था. लेकिन जैसे मैंने कहा, उद्देश्य यही था कि यह ड्रॉ पर समाप्त होना चाहिए. लेकिन जब उन्होंने गलती की तो वह एक अच्छा पल था. मेरे लिए सबसे मुश्किल गेम पहले और 12 गेम के बाद की बाजियां रही, जिनमें मुझे हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन तीनों जीत काफी अच्छी रहीं.

कंट्रोल में रहने के लिए वो लम्हा कितना अमह था और आपने कैसे मैनेज किया

यह आसान काम नहीं होता है कि आप पूरे गेम के दौरान अपने इमोशन को कंट्रोल रखे. मैं आपना बेस्ट करता हूं. मैं योगा और मेडिटेशन करता हूं, जिसने मेरी काफी सहायता की है. मुझे लगता है कि कुछ अनुभव है और मानसिक दृढ़ता के चलते मैं इन इमोशन को कंट्रोल कर पाता हूं. यह आसान नहीं है लेकिन कुछ अनुभव और कुछ अच्छी आदतों काफी अहम हो जाती हैं.

कैसे माइंड गेम चलता है और विरोधी पर किस तरह का दवाब बनता है उससे

मेरा प्रतिद्वंद्वी शुरुआत में लंबी चीजें ले रहा था, मैंने अपनी आंखें बंद करने की कोशिश की क्योंकि मुझे पता था कि उसकी चालों पर मेरा जवाब क्या होगा. मैंने बस अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश की और बस पल में रहने की कोशिश की और बहुत अधिक ऊर्जा नहीं लगाई क्योंकि मुझे खेल के बाद के हिस्सों में इसकी आवश्यकता थी. इसलिए हां, वहां कुछ सरल चीजें थीं जिन्हें मैंने करने की कोशिश की थी और वहां हमेशा होती है, आप जानते हैं कि प्रत्येक खिलाड़ी का अपना तरीका होता है, अलग तरह की परिस्थितियों से निपटने के लिए. और हां, यह खेल के मानसिक पक्ष का हिस्सा है, यह निश्चित रूप से खेल का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है.

क्या कोई गलती हुई, जब लगा हो कि यह तो गलत हो गया?

शतरंज में हमेशा गलतियां होती रहती हैं. शतरंज एक बहुत ही सुंदर और जटिल खेल है, चाहे आप कितने भी अनुभवी हों और चाहे आप कितने भी मजबूत हों, आप लंबे खेलों में गलतियां करते हैं और निश्चित रूप से मेरी ओर से बहुत सारी गलतियां हुईं लेकिन दिन के अंत में आपका काम अपने विरोधी से बेहतर खेलना है और मुझे लगता है कि लंबे मैच की अवधि में मैं ऐसा करने में कामयाब रहा.

कब से शुरू हुआ चेस खेलने का सफर

मैंने बहुत छोटी उम्र में लगभग साढ़े छह या सात साल की उम्र में शुरुआत की थी, मैं विश्वनाथन आनंद से प्रेरित हुआ और जब मैं शामिल हुआ, जब मैंने शतरंज का अभ्यास शुरू किया तो मुझे धीरे-धीरे खेल से प्यार होने लगा और हां यह एक खूबसूरत खेल रहा है.

शतरंज के दीवाने कैसे बने?

वह चीज़ जिसने मुझे शुरू में शतरंज की ओर आकर्षित किया था और अभी भी वह चीज़ जो मुझे आकर्षित करती है, वह है कि यह खेल कितना पेचिदा है, आप इसमें सब कुछ कैसे सीख सकते हैं, मेरा मतलब है कि हर दिन कुछ न कुछ सीख सखते हैं, क्योंकि शतरंज असीमित संभावनाओं का खेल है और मुझे लगता है कि यह जिज्ञासा मेरे लिए शुरू से ही बहुत महत्वपूर्ण रही है. मेरी प्रेरणा और रोल मॉडल शुरुआत से ही विश्वनाथन आनंद सर रहे. मैंने उनका अनुसरण किया, मैंने उनके बताए रास्ते पर चलने की कोशिश की.वह सालों से मेरे मेंटॉर हैं और हां, उनकी भूमिका अमूल्य रही है.

आपको माता-पिता का अहम रोल रहा, आपके सोर्स ऑफ स्ट्रेंथ कौन हैं?

हां, मेरे माता-पिता दोनों ही मेरे लिए शक्ति और समर्थन का सबसे बड़ा स्रोत हैं. मेरे माता-पिता दोनों ने शुरू से ही मेरे लिए यहां तक पहुंचने के लिए बहुत त्याग किए हैं. मेरे पिता ने मेरे करियर के लिए, मेरे साथ टूर्नामेंट में जाने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी थी. मेरी मां घर पर मेरा समर्थन करती हैं, जब मैं टूर्नामेंट में होता हूं तो वह हमेशा मुझसे बात करती हैं. हर गेम से पहले मुझे प्रेरित करने की कोशिश करती हैं और हां, वह हमेशा भावनात्मक समर्थन के लिए मौजूद रहती हैं. मेरा मतलब है कि मेरे माता-पिता ने मेरे करियर में मेरे लिए जो कुछ भी किया है उसके लिए मैं उनका पर्याप्त धन्यवाद नहीं कर सकता.