क्या यह देशभक्त सरकार के लक्षण हैं? आर्मी बेस पर हमले के बाद पत्रकार अभिसार शर्मा ने पूछे ये चुभते सवाल

जम्मू कश्मीर के सुंजवां आर्मी कैंप पर हुए हमले में देश के पांच जवान शहीद हो गये हैं। इस आतंकी हमले को लेकर देश भर में पाकिस्तान और आतंकियों के प्रति गुस्सा है। इस हमले पर पत्रकार अभिसार शर्मा ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से कुछ तीखे सवाल पूछे हैं। अभिसार शर्मा ने कहा है कि वह इस ‘देशभक्त’ सरकार से जानना चाहेंगे कि जब 9 फरवरी को अफजल गुरु की बरसी पर संभावित हमले सीधे तौर पर गुप्तचर रिपोर्ट थी, तो सैनिक अड्डों की सुरक्षा क्यों चाक चौबंद नहीं की गयी? अभिसार शर्मा ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि, “पठानकोट पर हमले के बाद सैनिक अड्डों के आसपास की सुरक्षा पर जोर दिया गया था, साथ ही कमियों को उजागार किया गया था, मगर रक्षा मंत्रालय ने सिर्फ कुछ दिनों पहले ही 1487 करोड़ मुहैया कराए? रिपोर्ट पर देरी से कार्रवाई क्यों? क्या ये देश भक्त सरकार के लक्षण हैं?”

बता दें कि सुंजवां सैन्य शिविर पर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों के एक समूह ने हमला किया था। जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों द्वारा किये गए हमले में पांच सैन्यकर्मी शहीद हुए, इस हमले में एक नागरिक मारा गया और जबकि 10 अन्य घायल हो गए थे। हालांकि सेना ने चारों आतंकवादियों को ढेर कर दिया। पत्रकार अभिसार शर्मा ने गुस्से में पूछा है कि नरेंद्र मोदी सरकार अपनी राजनीतिक महात्वाकांक्षा के लिए सैनिकों के नाम का इस्तेमाल करना कब बंद करेगी। उन्होंने लिखा, “क्या सैनिक का परिवार आपके लिए मायने नहीं रखता? सैनिक शहीद होता है, तो उसका परिवार को क्यों ज़िन्दगी भर नर्क भुगतना पड़ता है? ये सब आपकी भड़काऊ नीति का नतीजा तो नहीं? अभिसार शर्मा ने कहा है कि शहीद सैनिक का परिवार भी इंसाफ चाहता है? क्या उसके दर्द का कोई इलाज सरकार के पास है। उन्होंने अपने पोस्ट के अंत में लिखा है कि उम्मीद है लोग ठंडे दिमाग से इन बातों पर गौर करेंगे?

अभिसार शर्मा का मानना है कि सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान और भी बेशर्म हो गया है। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, “हमारे रिकॉर्ड सैनिक मारे जा रहे हैं! चीन के साथ भी हमारे संबंध बद से बदतर होते जा रहे हैं  हम दोनों के साथ तनाव बढ़ा कर क्या हासिल कर रहे हैं? चीन तो डोकलाम मे बना हुआ है, अब वो मालदीव में आंख दिखा रहा है! हम क्यों खुद को हर तरफ से घेरने मे लगे हुए हैं? क्या ये हमारी विदेश नीति है?”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *