क्या राहुल के बताए रास्ते पर आगे बढ़ रही है कांग्रेस, नई नियुक्तियों में मिली OBC और ST-ST को जगह

कांग्रेस ने शुक्रवार को कई प्रभारी महासचिवों और प्रभारियों की नियुक्ति की. इनमें राहुल गांधी का असर देखा जा सकता है. वो दलित,पिछड़ा और आदिवासी समाज की पार्टी में उचित भागीदारी की बात कर रहे हैं. नई नियुक्तियों में पांच OBCऔर दलित, अल्पसंख्क और आदिवासी समाज के एक-एक नेता को जगह दी गई है.

कांग्रेस ने अपने संगठन में 14 फरवरी को बड़ा बदलाव किया. कांग्रेस ने दो महासचिवों और नौ राज्यों के प्रभारियों की नियुक्ती की. इन नियुक्तियों में राहुल गांधी का प्रभाव देखा जा सकता है. इसके साथ ही कांग्रेस ने अपने छह पदाधिकारियों की छुट्टी भी कर दी है. दरअसल राहुल गांधी पिछले काफी समय से दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के लोगों की अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं. पिछले दिनों तो उन्होंने इन वर्गों की कांग्रेस में ही अनदेखी की बात कह दी थी. राहुल पिछले काफी समय से जाति जनगणना की भी वकालत कर रहे हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि ये नियुक्तियां राहुल गांधी की राजनीति का रिफलेक्शन हैं. 

किस नेता को क्या जिम्मेदारी मिली है

नई नियुक्तियों में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को महासचिव बनाया गया है. उन्हें पंजाब का प्रभारी बनाया गया है, जहां 2027 में विधानसभा के चुनाव होने हैं. उनके अलावा सैयद नासिर हुसैन को जम्मू कश्मीर और लद्दाख का प्रभारी महासचिव बनाया गया है. 

इनके अलावा रजनी पाटील को हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ का प्रभारी बनाया गया है. बीके हरिप्रसाद को हरियाणा, हरीश चौधरी को मध्य प्रदेश, गिरीश चोदांकर को तमिलनाडु पुडुचेरी, अजय कुमार लल्लू को ओडिशा, के राजू को झारखंड, मीनाक्षी नटराजन को तेलंगाना, सप्तगिरी शंकर उल्का को मणिपुर, त्रिपुरा, सिक्किम और नगालैंड और कृष्ण अलावरु को बिहार का प्रभारी बनाया गया है. कांग्रेस ने दीपक बाबरिया, मोहन प्रकाश, भरत सिंह सोलंकी, राजीव शुक्ला, अजोय कुमार और कृष्णा अलावरु को पूर्व में दी गई जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया गया है. 

जिन प्रदेशों के नए प्रभारी बनाए गए हैं, उनमें से कुछ में अगले एक-दो साल में विधानसभा चुनाव होना है. इनमें बिहार और  पंजाब जैसे राज्य शामिल हैं. इस फेरबदल का फैसला कांग्रेस कार्यसमिति की पिछले साल 26 दिसंबर को हुई बैठक में लिया गया था. इसका मकसद पार्टी में नेतृत्व के स्तर पर दलितों और पिछड़ों की भागीदारी बढ़ाना है. कांग्रेस में जो नए पदाधिकारी बनाए गए हैं, उनमें पांच अन्य पिछड़ा वर्ग(ओबीसी), एक दलित, एक आदिवासी और एक मुस्लिम शामिल है. वहीं सवर्ण समाज के तीन लोगों को जगह इन नियुक्तियों में दी गई है.   

कांग्रेस ने नियुक्तियों में क्यों रखा जाति का ध्यान

भूपेश बघेल को पंजाब का प्रभारी महासचिव बनाया गया है. वो ओबीसी वर्ग से आते हैं. वहीं मुस्लिम समुदाय के सैयद नासिर हुसैन को जम्मू कश्मीर और लद्दाख का प्रभारी महासचिव बनाया गया है. इसी तरह ओडिशा से आने वाले आदिवासी समाज के सप्तगिरी शंकर उल्का को मणिपुर, त्रिपुरा, सिक्किम और नगालैंड का प्रभारी बनाया गया है. पूर्वी उत्तर प्रदेश के ओबीसी नेता अजय कुमार लल्लू को ओडिशा का प्रभारी बनाया गया है. लल्लू उत्तर प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रमुख हैं. उन्हें प्रियंका गांधी के कैंप का नेता माना जाता है. लल्लू की छवि एक जुझारू नेता की रही है. उनके प्रदेश अध्यक्ष रहते उत्तर प्रदेश कांग्रेस लगातार सड़क पर रही और आंदोलन करती रही. इस क्रम में कई बार लल्लू को जेल भी जाना पड़ा था.  

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बीके हरिप्रसाद को हरियाणा, हरीश चौधरी को मध्य प्रदेश, गिरीश चोदांकर को तमिलनाडु और पुडुचेरी का प्रभारी बनाया गया है. ये तीनों नेता भी ओबीसी समाज से ही आते हैं. राजस्थान से आने वाले हरीश चौधरी के पंजाब का प्रभारी रहते ही वहां पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर को कांग्रेस छोड़ना पड़ा था. इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि गुटबाजी के लिए मशहूर मध्य प्रदेश कांग्रेस को वो कैसे एक कर पाते हैं. मीनाक्षी नटराजन को तेलंगाना का प्रभारी बनाया गया है. ब्राह्मण समाज से आने वाली नटराजन मध्य प्रदेश के मंदसौर से 2009 में कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुनी गई थीं. झारखंड में कांग्रेस का प्रभारी बनाए गए के राजू पूर्व नौकरशाह हैं. वो दलित समाज से आते हैं. वहीं बिहार के प्रभारी बनाए गए कृष्णा अल्लवरू सवर्ण हैं. कांग्रेस संसदीय बोर्ड की प्रमुख सोनिया गांधी की करीबी मानी जाने वाली रजनी पाटील को हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ का प्रभारी बनाया गया है. वो महाराष्ट्र की रहने वाली मराठा समुदाय की नेता हैं. 

इनके अलावा जिन छह नेताओं को छुट्टी की गई है, उनमें तीन सवर्ण और तीन ओबीसी नेता हैं. 

बिहार में कैसे पार पाएगी कांग्रेस

अल्लवरू को बिहार का प्रभारी बनाया गया है. वहां इसी साल विधानसभा चुनाव होना है. पटना में बीपीएसी के अभ्यर्थियों की रैली कराकर अलावारु चर्चा में आए हैं. बिहार में कांग्रेस का आरजेडी और वामदलों से गठबंधन हैं. कांग्रेस बिहार में अलग से पैर जमाने की कोशिश कर रही है. ऐसे में उनके ऊपर गठबंधन सहयोगियों से संबंध को बनाए रखना और कांग्रेस को मजबूत करने की बड़ी जिम्मेदारी है. लेकिन एक बात लोगों को समझ में नहीं आ रही है कि कांग्रेस ने एक ठेठ हिंदी भाषी राज्य की जिम्मेदारी एक गैर हिन्दी भाषी नेता को क्यों सौंपी है. 

इन नियुक्तियों के अलावा कांग्रेस में दो और प्रमुख नियुक्तियां हुई हैं. ये है भक्त चरण दास महंत को ओडिशा और हर्षवर्धन सपकाल को महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. दास दलित और कपकाल ओबीसी समाज से आते हैं. कांग्रेस के संगठन में किया गए फेरबदल को राहुल गांधी के उस बयान से भी जोड़ा जा सकता है, जिसमें उन्होंने कहा था कि कांग्रेस ने पिछ एक-डेढ़ दशक में दलितों और पिछड़ों के लिए बहुत कुछ नहीं किया है, इसलिए इन वर्गों ने कांग्रेस से दूरी बना ली है.ऐसा लगता है कि कांग्रेस में हुई ये नियुक्तियां राहुल गांधी के उसी बयान के प्रभाव में की गई हैं.