क्‍यों की जाती हैं मंदिर की परिक्रमा, जानिए इससे जुड़े विधान

मंदिरों में आपने अक्सर लोगों को परिक्रमा करते देखा होगा। लेकिन कभी आपने सोचा है कि मंदिर की परिक्रमा क्यों की जाती है इंसान की कितनी बार मंदिर की परिक्रमा करनी चाहिए। आइए जानने हैं।

माना जाता है कि मंदिर में दर्शन करने के बाद परिक्रमा करने से शरीर में पॉजीटिव एनर्जी आती है और मन को शांति मिलती है। इसके साथ यह भी मान्यता है कि नंगे पांव परिक्रमा करने से अधिक सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

वहीं धार्मिक मान्यता के अनुसार जब गणेश और कार्तिक के बीच पृथ्वी का चक्कर लगाने की प्रतिस्पर्धा चल रही थी तब गणेश जी ने अपनी चतुराई से पिता शिव और माता पार्वती के तीन चक्कर लगाए थे। जिस कारण से लोग संसार के निर्माता के चक्कर लगाते हैं। उनके अनुसार ऐसा करने से धन-समृद्धि होती हैं और जीवन में खुशियां बनी रहती हैं।

कहा जाता है परिक्रमा हमेशा सही दिशा से शुरू करनी चाहिए। शास्त्रों के मुताबिक मंदिर की परिक्रमा करते समय भगवान व्यक्ति के दाएं हाथ की ओर होने चाहिए। परिक्रमा घड़ी की सुई की दिशा में करनी चाहिए। कहा जाता है परिक्रमा 8 से 9 बार करनी चाहिए।

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