गंगा की सफाई के लिए विदेशी मदद की तलाश

गंगा सफाई अभियान के लिए सरकार अब विदेशी मदद तलाश रही है। धन और तकनीक दोनों के लिए ही अंतरराष्ट्रीय सहयोग लेने के विकल्पों पर विचार की कवायद शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस बारे में केंद्रीय जल संसाधन व विदेश मंत्रालय को जरूरी निर्देश जारी किए हैं। दोनों मंत्रालयों की कार्ययोजना को केंद्रीय मंत्रियों नितिन गडकरी और एमजे अकबर की अगुआई में हुई आला अधिकारियों की बैठक में अंतिम रूप दिया गया। विदेश मंत्रालय राजनयिक चैनल से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धन जुटाने और तकनीकी सहयोग के लिए बातचीत में समन्वयन कर रहा है। इसी क्रम में विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) को वित्तीय सहयोग का प्रस्ताव भेजा गया है। वित्तीय मदद कर्ज की शक्ल में होगी। इसी कार्ययोजना के आधार पर बातचीत में तेजी लाई जाएगी।

इस बैठक में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में गंगा सफाई की कुल पांच बड़ी परियोजनाओं पर आगे बढ़ने का लक्ष्य रखा गया है। ये परियोजनाएं कुल 295.01 करोड़ की हैं। बंगाल और उत्तराखंड में गंगा में गिर रही गंदगी के कचरा प्रबंधन और उत्तर प्रदेश में कचरा प्रबंधन के साथ ही घाटों की सफाई की योजना पर काम होगा। केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने उन जगहों को नए सिरे से चिह्नित किया है, जहां गंगा में कचरा ज्यादा जा रहा है। गंगा के अलावा अन्य नदियों को लेकर इसी तरह का अभियान चलाने की योजना है, जिसपर परियोजना रिपोर्ट तैयार की जा रही है।

बुधवार की बैठक में जो बिंदु तय किए गए, उनके आधार पर केंद्र सरकार राष्ट्रीय हरित पंचाट में आठ मार्च को जवाब दाखिल करेगा। गंगा में न्यूनतम पर्यावरणीय प्रवाह बनाए रखने के लिए समुचित पानी छोड़ने को लेकर दायर याचिका पर नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) ने केंद्र व अन्य एजंसियों से जवाब मांगा है। एनजीटी के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस यूडी साल्वी की अध्यक्षता वाले पीठ ने पर्यावरण व वन मंत्रालय, जल संसाधन मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नेशनल मिशन फॉर स्वच्छ गंगा, उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड, बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व अन्य को नोटिस जारी किया है। याचिका में नदी का प्रवाह अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार ही सुनिश्चित करने की मांग की गई है।

इस बैठक में केंद्र की महत्त्वाकांक्षी नमामी गंगे परियोजना का काम देख रहे ‘नेशनल मिशन फॉर स्वच्छ गंगा’ के आला अधिकारी भी मौजूद थे। उन अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने जनवरी 2015 में क्लीन गंगा फंड बनाया था। उसमें 198.14 करोड़ रुपए खर्च नहीं किए जा सके हैं। 2014 से 1017 के बीच तीन साल में जारी की गई रकम में से 63 फीसद खर्च किया गया, लेकिन कामकाज 10 फीसद से ज्यादा नहीं हो पाया है। केंद्रीय रकम तमाम एजंसियों के पास पड़ी हुई है। गंगा सफाई में तकनीक के इस्तेमाल को लेकर एजंसियां अब तक अंधेरे में हाथ-पांव पटक रही हैं। गंगा सफाई के कामकाज को लेकर सीएजी ने गंभीर सवाल उठाए हैं। उसके बाद ही प्रधानमंत्री कार्यालय सक्रिय हुआ और केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय व विदेश मंत्रालय को जरूरी निर्देश दिए।

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