गवाहों की संख्या में इतना विश्वास क्यों रखती हैं एजंसियां : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि जांच एजंसियां हमेशा संख्या में विश्वास क्यों करती हैं और अदालत के समक्ष अपने आरोपों को सिद्ध करने के लिए क्यों सैकड़ों गवाहों को खड़ा करती हैं। 2008 में गुजरात में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों से जुड़े एक मामले को देख रही शीर्ष अदालत ने गौर किया कि अभियोजन ने मामले में 1,500 से अधिक गवाहों का नाम लिया है। न्यायमूर्ति एके सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण के पीठ ने कहा कि आप (अभियोजन एजंसियां) हमेशा संख्या में क्यों विश्वास करते हैं। प्रत्येक मामले में 100 से 200 अभियोजन गवाह हैं। कल दुर्घटना का मामला था जिसमें कोई भी चश्मदीद गवाह नहीं था, लेकिन करीब 200 अभियोजन गवाहों का नाम लिया गया। हमें वास्तव में आश्चर्य है कि क्यों इतने सारे गवाह बनाए जाते हैं? अदालत ने यह सामान्य मौखिक टिप्पणी प्रतिबंधित आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के कुछ कथित सदस्यों की जमानत याचिका पर सुनवाई करते समय की। जो 2008 के सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले में मुकदमे का सामना कर रहे हैं।
गुजरात का अमदाबाद शहर 26 जुलाई, 2008 को एक घंटे के भीतर 21 धमाकों से दहल उठा था। इन विस्फोटों में 56 व्यक्ति मारे गए थे और 220 से अधिक घायल हो गए थे। पीठ को सूचित किया गया कि मामले में करीब 930 अभियोजन गवाहों से निचली अदालत पहले ही पूछताछ कर चुकी है जबकि कई अन्य से अभी पूछताछ होनी है। मामले की जांच गुजरात पुलिस ने की है। शीर्ष अदालत ने गुजरात पुलिस की ओर से पैरवी कर रहे अतिरिक्तमहान्यायवादी तुषार मेहता से भी पूछा कि क्या मामले में इतने सारे गवाहों की वास्तव में जरूरत है। पीठ ने अतिरिक्त महान्यायवादी से पूछा- आपको बताना होगा कि क्या इतनी संख्या में गवाहों से पूछताछ किए जाने की आवश्यकता है। मेहता ने कहा कि पुलिस ने खुद ही 257 गवाहों को मामले से हटा लिया है, लेकिन 175 प्रमुख गवाहों से पूछताछ की जरूरत है। उन्होंने बताया कि 26 जुलाई, 2008 को अमदाबाद में श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट हुए थे और सूरत में 15 अन्य बम मिले थे जिन्हें निष्क्रिय किया गया था। मामले में 90 से अधिक आरोपी हैं जिनमें से 84 को गिरफ्तार कर लिया गया व 10 फरार हैं। मेहता ने बताया कि गिरफ्तार 84 आरोपियों में से केवल दो को जमानत मिली है और शेष अन्य जेल में हैं।
इस बीच आरोपियों के वकील ने कहा कि अब तक अभियोजन के 931 गवाहों से पूछताछ की जा चुकी है और उनमें से किसी ने भी जमानत मांग रहे आरोपियों के खिलाफ कुछ भी नहीं कहा है। वकील ने यह भी कहा कि राजस्थान में अदालत इन आरोपियों को इसी तरह के आरोपों वाले एक मामले में बरी कर चुकी है। जो आतंकी शिविर चलाने के आरोपों से जुड़ा है। अतिरिक्त महान्यायवादी ने कहा कि मामला निर्णायक चरण में है व अनुमान के मुताबिक इसे पूरा होने में 15 महीने और लगेंगे। उनके यह कहे जाने के बाद कि वह मामले में कुछ निर्देश लेंगे, पीठ ने मामले को तीन मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।