गांधी की हत्या सिर्फ गोडसे की नहीं किसी और की भी गोली से हुई थी, अमेरिकी दस्तावेजों के सहारे चौंकाने वाला दावा
अभिनव भारत संस्था के ट्रस्टी पंकज फड़नवीस ने महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच किए जाने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका की सुनवाई के दौरान उन्होंने अमेरिका से जुटाए गए कुछ दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट में पेश किए। ये ऐसे दस्तावेज थे, जिसे भारत सरकार ने प्रतिबंधित कर रखा था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सीधे इन कागजातों को लेने से इन्कार करते हुए कहा कि इसके लिए याची को अलग से याचिका दायर करनी होगी। अब मामले की अगली सुनवाई छह मार्च को होगी।याची पंकज फड़नीस ने कहा है कि महात्मा गांधी की हत्या में गोडसे के अलावा कई अन्य लोगों के शामिल होने की आशंका है। अमेरिका के पास इस बारे में काफी गोपनीय जानकारी है, जिस पर पर्दा डाला गया।
पंकज फड़नीस ने जस्टिस एसए बोब्डे और जस्टिस एल नागेश्वर की पीठ से कहा कि इस मामले में सुनवाई का मौका ही नहीं मिला। जब हत्यारोपियों को सजा दी गई, तब सुप्रीम कोर्ट का अस्तित्व ही नहीं था। पंकज ने याचिका में महात्मा गांधी की हत्या के पीछे फोर्स 136 संगठन का हाथ होने का दावा किया है। उन्होंने याचिका के जरिए सुप्रीम कोर्ट से दोबारा हत्याकांड की छानबीन कराने की मांग की। पता दें कि पिछली बार सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इतने साल बाद गवाह और सुबूत कैसे उपलब्ध होंगे, लोग जीवित भी नहीं बचे हैं। कोर्ट ने पूछा ता कि क्या लिमिटेशन एक्ट के तहत इतने दिनों बाद इस केस की दोबारा जांच की जा सकती है। क्या इस केस में पर्याप्त सुबूत हैं कि दोबारा जांच के आदेश दिए जा सकते हैं।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने साफ कहा था कि जब तक रहस्यमयी चौथी गोली से गांधी जी की मौत को लेकर सटीक साक्ष्य नहीं उपलब्ध होते, तब तक दोबारा जांच का आदेश नहीं दिया जा सकता। याचिकाकर्ता पंकज ने साक्ष्य के समर्थन में एक फोटोग्राफ पेश किया था, जिस पर सवाल उठाते हुए कोर्ट ने कहा कि जब फोटोग्राफर ही नहीं जिंदा है तो फिर उसे प्रमाण कैसे माना जा सकता है। बता दें कि बीते 8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त एमिकस क्यूरी अमरेंद्र शरण ने बताया कि ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जो ये बताए कि महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे के अलावा किसी और ने की हो। उन्होंने कहा कि पंकज की ओर से दी गई चार गोली की थ्योरी के पक्ष में कोई सुबूत नहीं हैं। यहीं नहीं महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने भी दोबारा जांच की मांग का विरोध किया था।