”गाय-बछड़ा” हुआ करता था कांग्रेस का चुनाव चिह्न, अपमान से बचने के लिए बदलवाया तो मिला ”पंजा”

कांग्रेस का चुनाव चिह्न ‘पंजा’ रद्द कराने के लिए जहां बीजेपी के एक नेता ने चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया है वहीं लेखक और पत्रकार राशिद किदवई ने अपनी किताब ‘बैलट: टेन एपिसोड्स दैट हैव शेप्ड इंडियाज डेमोक्रेसी’ में कांग्रेस को पंजा चुनाव चिह्न आवंटित होने के घटनाक्रम का उल्लेख किया है कि इंदिरा गांधी ने साइकिल, हाथी और पंजा में से पंजा का चुनाव किया था। बता दें कि साल 1950 में चुनाव आयोग ने सबसे पहले कांग्रेस को ‘दो बैलों की जोड़ी’ चुनाव चिह्न आवंटित किया था लेकिन 1969 में पार्टी का विभाजन होने के बाद चुनाव आयोग ने इस सिंबल को फ्रीज कर दिया और कामराज धड़े वाली कांग्रेस को ‘तिरंगे में चरखा’ और इंदिरा गांधी की अगुवाई वाली नई कांग्रेस (आई) को ‘गाय और बछड़ा’ का चुनाव चिह्न आवंटित किया था। बाद में 1977 में चुनाव आयोग ने गाय- बछड़ा चुनाव चिह्न की जगह कांग्रेस को ‘पंजा’ निशान आवंटित कर दिया था।

राशिद किदवई की किताब में कहा गया है कि 1977 में देश में कांग्रेस के खिलाफ हवा थी। यहां तक कि उनके चुनाव चिह्न गाय और बछड़े को लोग विकृत कर पुकारते थे। गाय का मतलब इंदिरा गांधी और बछड़े का मतलब संजय गांधी निकाला जाता था। इसके बाद कांग्रेस ने चुनाव आयोग में अर्जी देकर नया चुनाव चिह्न आवंटित करने को कहा था। इससे पहले कांग्रेस ने पुराने चुनाव चिह्न ‘दो बैलों की जोड़ी’ की मांग की लेकिन आयोग ने उसे फ्रीज होने की बात कह कांग्रेस की मांग नकार दी। इसके बात तत्कालीन कांग्रेस महासचिव बूटा सिंह ने आयोग को नया चुनाव चिह्न के लिए आवेदन दिया। उस वक्त इंदिरा गांधी दिल्ली से बाहर विजयवाड़ा में थीं। उनके साथ नरसिम्हा राव भी थे। इसी बीच आयोग की तरफ से कांग्रेस को साइकिल, हाथी और पंजा में से किसी एक चुनाव चिह्न का चयन करने को कहा गया। तब बूटा सिंह ने इंदिरा गांधी की सहमति लेने के लिए उन्हें फोन किया। फोन पर आवाज साफ-साफ नहीं सुनाई देने या बूटा सिंह के बोलने की शैली की वजह से इंदिरा गांधी ने हाथ की जगह हाथी समझ लिया था लेकिन जब तीसरे विकल्प की बात बूटा सिंह ने सुनाई तो उन्होंने इनकार कर दिया था।

बूटा सिंह बार-बार इंदिरा गांधी को यह समझाने की कोशिश कर रहे थे कि यह हाथी नहीं हाथ है, खुला हाथ जिसे पंजा भी कहते हैं और इसका चयन करना चाहिए। झुंझलाई इंदिरा ने तब फोन नरसिम्हा राव को थमा दिया था। दर्जनभर भाषाओं के जानकार नरसिम्हा राव ने तब कुछ सेकेंड के अंदर ही वाकये को समझ लिया था और फोन पर जोरदार तरीके से कहा था कि उसे पंजा कहिए। इसके बाद उन्होंने फोन रिसीवर इंदिरा गांधी को थमा दिया। फिर इंदिरा ने पंजे पर अपनी सहमति जता दी थी। इंदिरा द्वारा ठुकराया गया चिह्न साइकिल और हाथी बाद में उत्तर प्रदेश के दो दलों समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को आवंटित किया गया। ये दोनों दल यूपी में शासन कर चुके हैं।

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