गुंबदनुमा बनाए जाते हैं मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे, इसके पीछे है ये वैज्ञानिक कारण
भारत के सन्दर्भ में एक बात कही जाती है कि यह धार्मिक देश है। इसका मतलब यह हुआ कि यहां पर भगवान में आस्था रखने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है। भगवान, अल्लाह या फिर प्रभु ईसा मसीह की प्रार्थना करने के लिए लोग मंदिर, मस्जिद या फिर चर्च में जाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी मंदिर, मस्जिद, चर्च या फिर गुरुद्वारे की बनावट के बारे में गौर किया है। अगर आप इस पर गौर करेंगे तो देखेंगे कि इसका ऊपरी हिस्सा गुंबदनुमा बनाया जाता है। क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों होता है? यहां पर दिलचस्प बात यह है कि ऐसा होने के पीछे महज आस्था नहीं बल्कि वैज्ञानिक कारण भी है। आज हम आपको उस वैज्ञानिक कारण के बारे में बताने जा रहे हैं।
दरअसल जब आप ईश्वर की प्रार्थना करते हैं तो उस वक्त आपके मुख से ध्वनि तरंगें निकली हैं। ऐसे में अगर आप खुले में बैठकर ईश्वर की पूजा करेंगे तो वे तरंगें ब्रम्हाण्ड में कहीं खो जाएंगी। इस स्थिति में आपको कुछ अधूरापन सा महसूस होगा। आपको ऐसा प्रतीत होगा जैसे ईश्वर द्वारा आपकी प्रार्थना सुनी नहीं गई है। लेकिन जब आप किसी गुंबदनुमा मंदिर, मस्जिद, चर्च या फिर गुरुद्वारे में प्रार्थना करेंगे तो आपसे निकलने वाली ध्वनि तरंगें वापस आपको सुनाई देंगी। इस स्थिति में आप ऐसा महसूस करते हैं जैसे ईश्वर द्वारा आपकी बात सुनी जा रही है।
कहते हैं कि ईश्वर की प्रार्थना बड़ी ही श्रद्दा और एकाग्रता के साथ करनी चाहिए। सच्चे दिल से की गई प्रार्थना ईश्वर तक जरूर पहुंचती है और वह आपकी मनोकामना की अवश्य पूर्ति करते हैं। ऐसे में जब किसी गुंबदनुमा मंदिर या मस्जिद में ईश्वर की प्रार्थना करते हैं तो आपके आस-पास तरंगों के एक सर्किल का निर्माण होता है। यह सर्किल भक्त को मानसिक रूप से शांति देता है और उसे ईश्वर में ध्यान लगाने में काफी आसानी होती है। इसलिए ईश्वर, अल्लाह या प्रभु ईशु की प्रार्थना मंदिर, मस्जिद या फिर चर्च में ही करनी चाहिए।