गुजरात: दलितों पर बढ़े अत्याचार के मामले, आंकड़ों से सामने आई सच्चाई
गुजरात में साल दर साल दलितों पर अत्याचार के मामलों में बढ़ोत्तरी हो रही है। पुलिस में दर्ज कराए गए केस की बात करें तो साल 2015 में 1,046, 2016 में 1,355 केस दर्ज किए गए थे। इस साल यानि कि 2017 की बात की जाए तो अगस्त तक ही 1,085 दलितों पर अत्याचार के मामले दर्ज किए जा चुके हैं। 2016 से अब तक 309 मामले ज्यादा दर्ज किए गए हैं। पिछले साल जुलाई में जब उना में एक दलित परिवार की पिटाई कर दी गई थी तब से ही दलित नेता लोगों को जागरुक करने का प्रयास कर रहे हैं। उना दलित कांड में पुलिस ने भी जल्दी केस दर्ज करने से यह कहकर मना कर दिया था कि वे कोई चांस नहीं लेना चाहते।
मोटा समाधियाला गांव में ऊंची जाति के गौ रक्षकों द्वारा एक दलित के चार लोगों की बेरहमी से पिटाई कर दी गई थी। पुलिसवालों समेत 20 लोगों को गुजरात सीआईडी क्राइम टीम ने गिरफ्तार किया था। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार पुलिसवालों पर आरोप था कि उन्होंने घटना को छिपाने की कोशिश की थी। 2015 में करीब 17 दलितों को मौत के घाट उतार दिया गया था जो कि 2016 में आंकड़ा 32 तक पहुंच गया था। इस साल यह आंकड़ा अगस्त महीने तक 47 पर पहुंचा है। राज्य में कई जिले ऐसे हैं जहां पर दलितों को निरंतर निशाना बनाया जा रहा है।
इस मामले पर उच्च पुलिस अधिकारियों का कहना है कि एक एससीएसटी सेल बनाया गया है जो कि दलितों के खिलाफ बढ़ रहे अपराधों पर अपनी पैनी नजर रखेगा। एक पुलिस अधिकारी ने कहा हम अभीतक हुए सभी मामलों की जांच कर रहे हैं और यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि पीड़ितों तक उनका मुआवजा समय पर पहुंचे। हमें पूरा विश्वास है कि दलितों के खिलाफ बढ़ रहे अपराधों पर जल्द ही नियंत्रण कर लिया जाएगा। दलितों के अधिकार के लिए लड़ने वाले समाजिक लोगों का कहना है कि हमेसा दलित अपराध का शिकार होते हैं लेकिन समुदाय अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए कदम नहीं उठाता।