गैंगरेप के आरोपियों को मिली जमानत तो अंतरंग तस्वीरों से करने लगे ब्लैकमेल, 5 माह में केस निपटाने का आदेश

उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय से कहा कि हरियाणा के एक निजी विश्वविद्यालय की छात्रा से सामूहिक बलात्कार के मामले में दायर अपील का पांच महीने के भीतर निबटारा किया जाए। न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने कहा कि दोषियों की सजा के निलंबन पर पहले लगाई गई रोक उच्च न्यायालय में अपील का निबटारा होने तक प्रभावी रहेगी। न्यायालय सामूहिक बलात्कार के दोषियों को जमानत देने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ इस छात्रा की अपील पर सुनवाई कर रहा था। निचली अदालत ने इस मामले में दो दोषियों को भारतीय दंड संहिता की धारा के तहत सामूहिक बलात्कार और आपराधिक साजिश करने समेत विभिन्न आरोपों में तथा सूचना प्रौद्योगिकी कानून के प्रावधानों के तहत बीस बीस साल की कठोर सजा सुनाई थी जबकि तीसरे दोषी को सात साल की कैद की सजा दी थी।

हालांकि पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने इस फैसले के खिलाफ अपील पर दोषियों की सजा निलंबित करके उन्हें जमानत दे दी थी। शीर्ष अदालत ने सात फरवरी को कहा था कि लगातार ब्लैकमेल करने के रवैए को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है और उसने दोषियों से कहा कि वे आईक्लाउड का पासवर्ड साझा करें जहां उन्होंने इस महिला की अश्लील तस्वीरें स्टोर कर रखी हैं। आईक्लाउड फोटाग्राफ, वीडियो, दस्तावेज और संगीत सहित तमाम आंकड़े स्टोर करने वाला मोबाइल ऐप है जिसे पासवर्ड के बगैर हैक करना बहुत ही मुश्किल है।

शीर्ष अदालत ने इससे पहले दोषियों की सजा निलंबित करने के उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी। इस महिला ने पुलिस में दर्ज कराई प्राथमिकी में दावा किया था कि उसने अगस्त, 2013 में सोनीपत स्थित इस निजी विश्वविद्यालय में दाखिला लिया था और दोषियों में से एक से उसकी पहचान हुई थी।

प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि ये दोषी उसके अच्छे दोस्त बन गए थे और बाद में उन्होंने उससे बलात्कार किया और उसे इस बात के लिए बाध्य किया कि वह आपत्तिजनक अवस्था में खींची गई अपनी तस्वीरें उन्हें भेजे और अब वे उसे ब्लैकमेल कर रहे हैं। इस महिला का आरोप है कि प्राथमिकी दर्ज कराए जाने के बाद अप्रैल 2015 में दो अन्य लोगों ने भी विश्वविद्यालय परिसर में उससे बलात्कार किया।

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