चरणामृत और पंचामृत के सेवन से मिल सकती है जीवन में सफलता, जानिए क्या है इनका महत्व
हिंदू धर्म में मंदिर जाने पर और किसी भी शुभ कार्य के बाद चरणामृत या पंचामृत दिया जाता है। भक्त इसे सीधे हाथ में लेकर फिर ग्रहण करते हैं। माना जाता है कि इसे ग्रहण करने से शरीर में मौजूद नकारात्मक शक्तियां खत्म होती हैं। चरणामृत का अर्थ होता है वो जल जिससे किसी पूजनीय देव-देवी या महात्मा आदि के चरणों को धोया जाता है। हिंदू धर्म में इसे बहुत ही पवित्र माना जाता है। श्रद्धालु इसे माथे से लगाने के बाद ही ग्रहण करते हैं। इसी तरह पंचामृत का अर्थ है पांच पवित्र चीजों को इकट्ठा करके बनाया गया। माना जाता है कि पंचामृत भगवान को प्रिय होता है।
चरणामृत अध्यात्म के अनुसार लाभकारी तो होता है उसी के साथ आयुर्वेद के अनुसार चरणामृत स्वास्थ के लिए लाभकारी माना जाता है। इसका कारण तांबे का बर्तन होता है। तांबे में रखा जल शरीर के लिए लाभकारी माना जाता है। धार्मिक रुप से माना जाता है कि तांबे का बर्तन नकारात्मक शक्तियों को खत्म करता है। तुलसीदास जी द्वारा लिखी गई रामायण में माना जाता है कि वनवास के दौरान श्री राम नदी पार कर रहे थे तो उन्होनें नाविक से गंगा पार करवाने के लिए कहा। नाविक ने इसके उत्तर में कहा कि वो श्रीराम के चरण धोकर उसे चरणामृत के रुप में ग्रहण करके अपनी सभी बाधाओं को पार करवा सकता है।
माना जाता है कि चरणामृत का सेवन आकाल मृत्यु को भी दूर करता है और सभी बीमारियों से मुक्त करता है। चरणामृत के लिए मान्यता है कि इसके सेवन से पुनर्जन्म नहीं होता है। इसी तरह पंचामृत के सभी तत्वों के अलग लाभ होते हैं। जिसमें से दूध शुभता का प्रतीक, दही का सद्गुण अपनाना, घी स्नेह का प्रतीक, शहद मजबूती का प्रतीक, शकर का अर्थ दूसरों की जिंदगी में मिठास घोलना होता है। ये सभी तत्व हमें सफलता प्राप्त करने मे सहायता करते हैं।