चारा घोटाला: कोर्ट में खुली सीबीआई की पोल, जिसे मृत बताया, उसे दूसरे केस में आरोपी बनाया

चारा घोटाले में सीबीआई के कुछ दावे रांची की स्पेशल कोर्ट में गलत साबित हुए। खुलास हुआ कि जांच में भारी लापरवाही बरती गई। घोटाले में शामिल एक आरोपी अधिकारी को जहां मृत बता दिया वही दूसरे मामले में उसे आरोपी बना दिया। इस लापरवाही पर स्पेशल जज शिवपाल सिंह ने सीबीआई के तत्कालीन इंस्पेक्टर अजय कुमार झा के खिलाफ कार्रवाई के लिए सीबीआई निदेशक को एक माह के भीतर अभियोजन की मंजूरी लेने को कहा है। यह मामला चारा घोटाले से जुड़े दुमका ट्रेजरी से 17.73 करोड़ की निकासी से जुड़ा है। चारा घोटाले में इस ट्रेजरी से अवैध रूप से पैसे की निकासी को लेकर आईएएस राजीव अरुण एक्का ने 22 फरवरी 1996 को 72 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।

दरअसल आरोप है कि सीबीआई इंस्पेक्टर अजय कुमार झा ने पशुपालन विभाग के तत्कालीन क्षेत्रीय निदेशक परिमल चक्रवर्ती को एक मामले में मृत दिखा दिया, जबकि वे दो अगस्त 1998 के दौरान पद पर थे। वहीं दूसरे मामले में उन्हें आरोपी बनाया और जिसमें सजा मिली। जांच अधिकारी पर तत्कालीन जिला उपायुक्त(डीसी) अंजनी कुमार सिंह और और डॉ. पीतांबर झा को भी बचाने के आरोप लगे, जिनके हस्ताक्षर से ट्रेजरी से धन निकाले की बात सामने आई। आरोप है कि जांच अधिकारी ने खेल करते हुए एक आरोपी को गवाह बना दिया।

आरोपी बने मुख्य सचिवः सीबीआई की रांची स्थित विशेष अदालत ने दुमका के तत्कालीन उपायुक्त अंजनी कुमार सिंह को भी चारा घोटाले में आरोपी बनाया है। सिंह इस वक्त बिहार के मुख्य सचिव भी हैं। आरोप है कि उन्होंने 17 अगस्त 1993 को एक आदेश के जरिए एक लाख रुपये से अधिक की निकासी बंद करा दी। जिसके बाद आरोपियों ने एक लाख से कम के बिल लगाकर चारा घोटाले को अंजाम दिया आरोप है कि उन्होंने घोटाले की भनक लगने के बाद भी किसी के खिलाफ केस दर्ज नहीं कराया। सीबीआई कोर्ट का मानना है कि इस हरकत से आरोपियों के साथ सिंह की मिलीभगत की बात सामने आ रही है।

 

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