चीनी सामान के बहिष्कार की अपील से भी संकट
अजय पांडेय
आप जिस मोबाइल फोन पर चीन में बने सामान के बहिष्कार की भावुक और मार्मिक अपील पढ़ रहे हैं, वह मोबाइल भी उसी चीन से बनकर आया है। आप अपनी गाड़ी की जिस गद्देदार सीट पर बैठे हैं, वह भी उसी चीन से आई है और आपके ड्राइंग रूम से लेकर किचन तक की खूबसूरती चीन में बने सामान से है। तो फिर चीनी सामान के बहिष्कार का भला क्या मतलब है?चांदनी चौक स्थित भागीरथ पैलेस स्टॉल ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रमन अग्रवाल ने ये तमाम सवाल उठाए। वे कहते हैं कि सच तो यह है कि सियासत के साथ व्यापार का घालमेल इस दिवाली पर बेहद भारी साबित हो रहा है। कारोबार में करीब 40 फीसद तक की गिरावट दर्ज की जा रही है। जीएसटी की मार से बेजार व्यापारियों के लिए चीनी सामान के बहिष्कार का अभियान भारी घाटे का सौदा साबित हो रहा है। दिल्ली किराना एसोसिएशन के प्रधान विजय कुमार गुप्ता बताते हैं कि चीन के साथ व्यापार के मामले में होता यह है कि आर्डर एडवांस में ही बुक कराना पड़ता है। जब भारत और चीन का विवाद हुआ तो कारोबारियों ने सोच समझकर आर्डर बुक कराया और जिन लोगों का माल आ भी गया, वे भी अब उसको बेच नहीं पा रहे हैं। चीन के सामान के बहिष्कार की अपील का असर यह है कि त्योहारों के इस मौसम में बाजार ठंडा है, कारोबार 40-50 प्रतिशत तक नीचे आ चुका है।
रमन अग्रवाल बताते हैं कि दिक्कत यह है कि लोगों को यह पता नहीं है कि उनके रोजमर्रा के इस्तेमाल की आधी से ज्यादा चीजें चीन से बनकर आती हैं। उन्होंने बताया कि बानगी के तौर पर कश्मीरी गेट कार बाजार चले जाइए। छोटी से लेकर बड़ी तक तमाम कारों की लाइटें और जितने भी कल-पुर्जे हैं, सजावटी सामान हैं, हेडलाइट, बैक लाइट, सीट कवर और चाहे जो कुछ भी खरीदें, सब चीन सेआ रहा है। चाहे बच्चों के खिलौने हों अथवा आपके घर की लाइट हो, सबकुछ चीन से आता है। लेकिन हुआ क्या है कि इस दिवाली पर चीन के सामान के बहिष्कार की जो अपील हुई उसका सबसे बड़ा आसार सजावटी लड़ियों और ऐसे ही अन्य सामान पर हुआ है। लोग इतने अंजान हैं कि उनको यह भी नहीं मालूम कि अपने जिन मोबाइल फोन से वे बहिष्कार की अपील कर रहे हैं, वे फोन भी चीन में ही बनकर आए हैं। उनका कहना है कि आलम यह है कि हमारे देश की बड़ी-बड़ी कंपनियां भी सामान चीन में बनवाती हैं और बाद में मेड इन इंडिया की मुहर लगाकर बेचती हैं।
जानकारों का यह मानना है कि चीन के साथ भारत के संबंधों में आई खटास के बाद चीन में बने सामान के बहिष्कार की मांग करने वाले वर्ग का मानना होता है कि इससे चीन पर दबाव बनाया जा सकता है। लेकिन उन्हें यह नहीं मालूम है कि चीन दुनिया के साथ जो कारोबार करता है उसमें भारत का हिस्सा महज दो फीसद है। जाहिर है कि चीन के सामान के बहिष्कार की अपील से कुछ राजनीतिक व अन्य संगठनों के अपने सियासी मकसद भले पूरे हो जाएं लेकिन इससे चीन की आर्थिक सेहत पर बहुत असर पड़ने के आसार नहीं हैं। जाहिर है कि बहिष्कार की इस राजनीति से चीन पर दबाव बनाने की बात बहुत कारगार नहीं हो सकती। दिवाली से पहले शनिवार और रविवार की दो छुट्टियों पर बाजार में ग्राहकों की भीड़ उमड़ने की आस व्यापारियों ने लगा रखी थी, लेकिन उनकी आस टूट गई। यह कहना उचित नहीं होगा कि बाजार में सन्नाटा था लेकिन पिछले वर्षों में दिल्ली के बाजारों में जो रौनक रहती आई है वह सिरे से गायब है। पूर्वी दिल्ली के सबसे बड़े बाजार लक्ष्मी नगर के एक कपड़ा दुकानदार ने कहा कि इस साल तो लग ही नहीं रहा है कि दिवाली का त्योहार इतना करीब आ पहुंचा है।