चीन की चाल
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर चीन का एतराज हैरानी का विषय नहीं है। जब भी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री, अन्य कोई मंत्री या कोई विशिष्ट प्रतिनिधिमंडल अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर जाता है, चीन की प्रतिक्रिया इसी तरह की रहती है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद रविवार को अरुणाचल गए थे। इस पर एतराज जताते हुए चीन के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि भारत को ऐसे समय सीमा विवाद को जटिल बनाने से बचना चाहिए जब द्विपक्षीय संबंध निर्णायक क्षण में हैं। सवाल है कि भारत के राष्ट्रपति के अरुणाचल जाने से किस तरह की जटिलता पैदा होती है? पहले भी भारत के शासन का प्रतिनिधित्व करने वाले लोग वहां जाते रहे हैं। हाल ही में रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण अरुणाचल के सीमाई इलाकों के दौरे पर गई थीं। तब भी चीन ने एतराज जताने वाला बयान जारी किया था। इस तरह वह अरुणाचल को लेकर अपने पुराने रुख को दोहराता या उसकी याद दिलाता है। चीन के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में यह भी कहा है कि दोनों देश एक निष्पक्ष और उचित समाधान पर पहुंचने के लिए बातचीत के जरिए इस मसले का समाधान करने की प्रक्रिया में हैं। यह सही है कि भारत और चीन के बीच दशकों से सीमा विवाद चला आ रहा है, और इसे सुलझाने के लिए जब-तब वार्ता की प्रक्रिया चलती रही है। लेकिन यह कभी तय नहीं हुआ था कि जब तक वार्ता अंतिम निष्कर्ष या किसी समझौते तक नहीं पहुंच जाती, तब तक भारतीय राज्यतंत्र का कोई प्रतिनिधि अरुणाचल नहीं जाएगा।