चीन के गांवों में बेच दी गई थी हजारों लड़कियां, अब दशक भर बाद कर रहीं मां-बाप की तलाश

आए दिन भारत को आंखें तरेरने वाले चीन के एक स्याह सच की परते लगातार खुल रही हैं, जो कि सीधे पड़ोसी देश की छवि से जुड़ा है और विश्व बिरादरी में उसे असहज भी कर सकता है। चीन के ही सरकारी आखबार ग्लोबल टाइम्स की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब दशक भर पहले फुजियान प्रांत के ग्रामीण इलाकों में दसियों हजार बच्चियों को सिर्फ इसलिए बेच दिया गया था ताकि जनसंख्या नियंत्रण के लिए बनी एक बच्चा पैदा करने की नीति का पालन हो सके। हालांकि अब इस नीति को हटा लिया गया है। रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि चीन के गांवों में लड़कों को तरजीह देने के कारण भी लड़कियों को कभी बेचा गया, कभी उनकी तस्करी की गई तो कभी उन्हें अपने ही गोद लिए भाइयों की बाल बधू बनना पड़ा। अखबार के मुताबिक वे अभागी लड़कियां अब दशक भर बाद अपनी पहचान तलाश रही हैं, अपने मां-बाप को खोज रही हैं। अखबार ने एक युवती आह लिन का उदाहरण देते हुए लिखा है कि जब वह बच्ची थी तो उसे भी अवैध रूप से बेचा गया था और कभी-कभार उसे गोद लिए गए उसके भाइयों के लिए बालिका बधू भी बनना पड़ा था।

रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में अपनी पहचान तलाशने में लगी मां-बाप की उन अनचाही लड़कियों में से ज्यादातर को 1970 और 1980 के शुरू में गोद लिया गया था। इसी जुलाई की शुरुआत में फुजियान प्रांत की गुटियान काउंटी में ऐसी आभागी लड़कियों को ‘फैमिली सीकिंग एक्टिविटी’ (परिवार तलाश कार्यक्रम) के जरिये उनके असल मां-बाप से मिलवाने की कोशिश की गई। कई औरतों ने अपनी सूचना दर्ज कराई और डीएनए टेस्ट के लिए अपने खून के सैंपल छोड़े। 2018 के स्प्रिंग महोत्सव के दौरान आह लिन और गोद ली गई दूसरी हजारों लड़कियों ने बड़े पैमाने पर एक स्थानीय गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘हेल्प फाइंडिंग यॉर फेमिली’ के द्वारा फुजियान प्रांत के ननशान पार्क ऑफ चेंगल में आयोजित किए गए परिवार तलाश कार्यक्रम में हिस्सा लिया था।

आह लिन ने अपने असल माता-पिता और जन्मस्थान की तलाश में कई गांव घून डाले लेकिन नतीजा सिफर रहा। अपने बेबी क्लॉथ के अलावा उसके पास उसके असल ठिकाने से जुड़ा कोई सबूत नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक चीन में बच्चों को लावारिस छोड़ना कानूनन अपराध है इसलिए उनकी पहचान करने वाले साक्ष्य मिलना बड़ा ही दुर्लभ है। आह लिन की तरह दसियों हजार लड़कियों को उनके असली ठिकाने पर पहुंचाने का बीड़ा हेल्प फाइंडिंग फैमिली एनजीओ ने 2015 में उठाया था। डीएनए टेस्ट के अलाव चीन का सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीचैट इस काम में बड़ी भूमिका निभा रहा है। अपनी पहचान पाने में सफल रही लड़कियां वीचैट ग्रुप्स और डीएनए टेस्टिंग के लिए अपने जैसों को प्रोत्साहित कर रही हैं।

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