चीन के समर्थक रहे के. पी. शर्मा ओली दोबारा बने नेपाल के प्रधानमंत्री
नेपाल के ऐतिहासिक संसदीय चुनावों में वामपंथी गठबंधन की बड़ी जीत के बाद सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष के. पी. शर्मा ओली गुरुवार को दूसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बन गए। ओली के प्रधानमंत्री बनने से नेपाल में राजनीतिक स्थिरता की उम्मीदें एक बार फिर से जगी हैं। राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने 65 साल के ओली को देश का 41वां प्रधानमंत्री नियुक्त किया। चीन समर्थक रुख के लिए प्रसिद्ध ओली इससे पहले 11 अक्तूबर, 2015 से तीन अगस्त, 2016 तक नेपाल के प्रधानमंत्री रहे हैं। नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 76 के तहत ओली को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। इस अनुच्छेद के मुताबिक, जब प्रतिनिधि सभा में किसी पार्टी का स्पष्ट बहुमत नहीं हो तो राष्ट्रपति प्रतिनिधि सभा के ऐसे सदस्य को प्रधानमंत्री नियुक्त करेंगे जिसे दो या इससे अधिक राजनीतिक पार्टियों के समर्थन से बहुमत प्राप्त हो सके।
प्रधानमंत्री पद के लिए ओली का समर्थन यूसीपीएन-माओवादी, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी नेपाल और मधेशी राइट्स फोरम डेमोक्रेटिक के अलावा 13 अन्य छोटी पार्टियों ने किया है। इससे पहले, नेपाली कांग्रेस अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने राष्ट्र को संबोधित किया और प्रधानमंत्री पद से अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को सौंप दिया। गौरतलब है कि देश में हुए ऐतिहासिक संसदीय और स्थानीय चुनावों में पार्टी की बुरी हार के करीब दो महीने बाद देउबा ने इस्तीफा दिया है। देउबा सीपीएन (माओवादी सेन्टर) के समर्थन से पिछले वर्ष छह जून को नेपाल के 40वें प्रधानमंत्री बने थे। सीपीएन (माओवादी सेन्टर) अब वामपंथी गठबंधन का हिस्सा हैं और सीपीएन-यूएमएल के साथ विलय कर रहा है।
टेलीविजन प्रसारण के दौरान देउबा ने कहा, ‘‘मेरे नेतृत्व में सरकार के तीनों स्तरों के लिए मतदान सफलतापूर्वक पूरा हुआ, जिससे सत्ता हस्तांतरण की नींव पड़ी।’’ सीपीएन-यूएमएल और सीपीएन-माओवादी सेन्टर गठबंधन को दिसंबर में हुए आम चुनावों में 275 में से 174 सीटों पर जीत मिली। सीपीएन-यूएमएल का नेतृत्व ओली जबकि सीपीएन-माओवादी सेन्टर का नेतृत्व पुष्प कुमार दहल ‘प्रचंड’ करते हैं। ओली की पार्टी सीपीएन-यूएमएल को 121 सीटें मिली और वह संसद में सबसे बड़ी पार्टी बनी। नेपाली कांग्रेस को 63 सीटें मिली हैं जबकि सीपीएन-माओवादी सेन्टर के पास 53 सीटें हैं। सीपीएन-यूएमएल और सीपीएन-माओवादी सेन्टर की कुल सीटें 174 हैं। बहुमत की सरकार बनाने के लिए यह पर्याप्त आंकड़ा है। मधेसी पार्टियां, राष्ट्रीय जनता पार्टी नेपाल को 17 और फेडरल सोशलिस्ट पार्टी नेपाल को 16 सीटें मिली हैं।