चीफ जस्टिस मिश्रा बोले- प्लीज, मुझे गलत मत समझें, इसलिए बढ़ रहीं हैं मॉब लिंचिंग की घटनाएं
देश भर में कई जगहों पर भीड़ के द्वारा पीटकर हत्या किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने चिंता जताई है। ये बातें उन्होंने ऐसे वक्त में देश के सामने रखी हैं जब राजस्थान के अलवर में रकबर की कथित तौर पर भीड़ के द्वारा पीटकर हत्या की गई है। इस मामले ने पूरे देश में भीड़ की हिंसा और उसकी वैधानिकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, चीफ जस्टिस ने कहा,”हाल के दिनों में देश में मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ी हैं। मुझे गलत न समझा जाए, क्योंकि मैंने इस मामले पर फैसला सुनाया है। हाल के दिनों में सोशल मीडिया पर अफवाहों के फैलने की वजह से कई लोगों को जान गई है। सोशल मीडिया पर जिस तरह लोग विश्वास कर रहे हैं, उस पर नजर रखना जरूरी है, ताकि समाज में शांति और कानून-व्यवस्था कायम रखी जा सके।”
There is a recent surge in mob lynching, please don’t misunderstand me because I have authored the judgement, there is a recent surge in mob lynching based on the viral text on the social media and this leads to mobocracy and loss of life, in certain cases: CJI Dipak Misra pic.twitter.com/u63y2Xhn1M
— ANI (@ANI) July 24, 2018
The blatant reliance on social media needs to be checked by the citizens themselves; to ensure peace and order in the society: CJI Dipak Misra on mob lynching pic.twitter.com/MpXVcTMgzA
— ANI (@ANI) July 24, 2018
मॉब लिंचिंग पर कानून की सिफारिश: चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने बीते 17 जुलाई को मॉब लिंचिंग की घटनाओं की निंदा की थी। उन्होंन संसद से इस अपराध से निपटने के लिए कानून बनाने का सिफारिश भी की थी। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा था कि राज्य का दायित्व है कि वह कानून-व्यवस्था, कानून के राज और समाज की बहुलतावादी सामाजिक संरचना को बनाए रखे।
चीफ जस्टिस ने कहा था: मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि कोई भी न तो कानून अपने हाथों ले सकता है और न ही खुद के लिए कानून बना सकता है। अपराध से निपटने के लिए निवारक, उपचारात्मक और दंडनीय कदमों सहित कई दिशानिर्देश जारी करते हुए अदालत ने कहा कि भीड़तंत्र की अनुमति नहीं दी जाएगी। खंडपीठ ने एकमत होकर कहा कि भीड़ की हिंसा सोशल मीडिया से फैलती है।
पीठ ने दिया था निर्देश: पीठ ने शासन को दिए निर्देश में कहा कि गैर जिम्मेदाराना, भड़काऊ संदेश और वीडियो शेयर करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज कर सकती है। पुलिस अधीक्षक (एसपी) और उससे ऊपर की रैंक के पुलिस अधिकारी को प्रत्येक जिले में सामूहिक हिंसा को रोकने के लिए नोडल अधिकारी के तौर पर नियुक्त किया जा सकता है। कोर्ट ने नफरत फैलाने वाले भाषणों, भड़काऊ बयानों और झूठी खबरों को फैलाने वाले अपराधों की खुफिया खबरें प्राप्त करने के लिए विशेष कार्य बल (एसटीएफ) गठित करने की पैरवी की थी।
संसद में गृहमंत्री ने दिया जवाब: लोकसभा में भीड़ के द्वारा पीट-पीटकर हत्या के मामला मंगलवार को भी संसद में उठा। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सदन को आश्वासन दिया कि सरकार इस मामले में सख्त कदम उठाएगी। अगर जरूरत पड़ी तो ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कानून भी बनाया जाएगा। राजनाथ सिंह ने कहा,”इस तरह के मामलों पर रिपोर्ट देने के लिए गृह मंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिसमूह (जीओएम) और गृह सचिव की अगुवाई में एक समिति का गठन किया है, जो चार हफ्ते में रिपोर्ट पेश करेगी।”