चौपालः डर की राजनीति

बिहार भाजपा के अध्यक्ष और सांसद नित्यानंद राय ने हाल ही में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर कोई भी अंगुली उठी या हाथ उठा तो उसे तोड़ या काट दिया जाएगा। इससे पहले उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव के दौरान भाजपा के एक नेता का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें वे दूसरे समुदाय के लोगों को वोट देने के लिए धमकी दे रहे थे। दरअसल, इस समय ऐसी राजनीतिक प्रवृत्तियां पनप रही हैं, जिनका स्वाभाविक रुझान लोकतंत्र के प्रति नहीं, बल्कि शासन पर किसी भी हाल में एकाधिकार के प्रति है।

यह ऐसा समय है जहां किसी को असहमति या विरोध बर्दाश्त नहीं। सवाल पूछना सत्ताधीशों की नजरों में आजकल सबसे बड़ा अपराध हो गया है। सवाल पूछने के अधिकार को छीनने के लिए मतदाता को असुरक्षा का भय दिखाना सत्तालोलुप नेताओं को आजकल बहुत भा रहा है। उनको लगता है कि डरा हुआ मतदाता भय के चलते न तो शासन से कभी सवाल पूछने की हिम्मत जुटा पाएगा, न कभी अपने अधिकार मांगेगा। थोड़े समय के लिए उनकी यह रणनीति अवश्य सफल रहती है, लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि अनुत्तरित प्रश्न और दबाया हुआ विरोध ही अकसर क्रांति का मूल होता है। अल्पसंख्यक समुदाय को अपशब्द कहना और अक्सर उन्हें पाकिस्तान भेजने या बंगाल की खाड़ी में डुबोने की धमकी देना, चुनावों के समय तुष्टिकरण के लिए फैलाई जा रही अफवाहें इस बात का सबूत देती हैं कि अब राजनीति में ऐसे लोगों का अकाल है जो विकास और शांति के नाम पर चुनाव जीत सकें। इससे हिंसा, डर और धर्म के नाम पर वोटों के तुष्टिकरण की राजनीति लोकतंत्र पर हावी हो रही है।

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