छठ पर्व: स्टेशन के बाहर बेहतर इंतजाम लेकिन समय से नहीं आ रहीं ट्रेन

छठ पर्व पर घर जाने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के बाहर बारातियों के स्वागत जैसा इंतजाम हैं। वहीं 13 से 14 घंटों की देरी से चल रही टेÑनों ने छठ का उपवास करने जा रहीं महिलाओं के उत्सव और उल्लास पर पलीता लगा दिया। वे पूजा उपवास शुरू होने के वक्त तक घर न पहुंच पाने की बेचैनी में घंटों की प्रतीक्षा और थकान से घिरी अपना रोष व्यक्त कर रही थीं। जबकि समय पर चल रही टेÑनों में किसी भी तरह बैठकर या खड़े होकर ही जाने की जद्दोजहद करते गैरआरक्षित यात्रियों की भीड़ को निंयंत्रित करने की कोशिश में पुलिस ने लाठी भांजी जिसमें कुछ यात्री घायल हो गए।
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के बाहर पर छठ पर्व पर अपने घर जाने वाले यात्रियों के सुविधा के लिए लगे बड़े-बड़े पंडाल लगाए हैं जिनमें एलसीडी स्क्रीन पर छठ पर्व के भक्ति गीत चल रहे हैं। बाहर ही टिकट के 17 अतिरिक्त काउंटर, 15 रुपए में यात्रियों के लिए जनता थाली, पानी व नाश्ते के काउंटर, जगह-जगह लगे सूचना पट्ट व रह-रह कर होती उद्घोषणाएं, यात्रियों के लिए करीब तीन दर्जन विशेष रेलगाड़ियां, यात्रियों की मदद करते मार्शल व सुरक्षाकर्मी आदि को देखकर यात्री ही नहीं यहां आने वाला हर व्यक्ति सुखद अहसास से भर जाता है। लेकिन जैसे ही उन्हें पता चलता है कि गाड़ी 13 घंटे की देरी से चल रही है तो उनक ी यह खुशी काफूर हो जाती है।

छठ पूजा के लिए घर जाने को आखिरी दम लगाते यात्री आज भी बड़ी संख्या में नई दिल्ली स्टेशन पहुंचते रहे। गैर आरक्षित डिब्बे में चढ़ने की जद्दोजहद करते यात्री सिकंदर के सिर में उस वक्त चोट आ गई जब भीड़ क ो नियंत्रित करने के लिए आरपीएफ जवान ने उस पर लाठी भांज दी। हाजीपुर जाने के लिए बिहार संपर्क क्रांति एक्सपे्रस में चढ़ने की कोशिश मे घायल इस यात्री को जवान 16 नंबर प्लेटफॉर्म पर प्राथमिक उपचार दिलाकर रवाना किया गया। दरभंगा स्पेशल टेÑन के इंतजार में बैठे राजस्थान के अलवर से आए परिवार की महिला यात्री मनोरमा ने बताया कि वे लोग सुबह आठ बजे से यहां बैठे हैं। दोपहर में पता चला कि गाड़ी दोपहर बाद 3:30 बजे की बजाय भोर में करीब 4:30 बजे चलेगी।

इन्हें पूजा से पहले किसी भी हालत में इन्हें आरा पहुंचना है। रोष में भरी वे कहती है कि कल सुबह से नहाए खाए की रस्म शुरू हो जाएगी और हम न इधर के रहे न उधर के। काफी जद्दोजहद करके वह टिकट रद्द कराया और कोलकाता राजधानी में टिकट कराया। जिसका चार टिकट का किराया 7160 रुपए लगा। जबकि स्पेशल गाड़ी का किराया भी कम नहीं बल्कि 6280 रुपए था। उन्होंने कहा कि जब राजधानी के लगभग किराया स्पेशल गाड़ी का है तो इसकी समयबद्धता क्यों सुनिश्चत नहीं की जाती? इनके पति ललन ने बताया कि कई महीने पहले से टिकट कराने के बाद भी गाड़ी के लेटलतीफी के कारण पिछले साल भी उनको कन्फर्म टिकट रद्द कराना पड़Þा था। रोष में भरी यात्री मीरा ने कहा कि पूरा परिवार इंतजार कर रहा है मंगलवार से घाट पर जाना है। हम अभी यहीं लटके हैं। जिस गाड़ी से टिकट कराए थे वह रद्द हो गई। आखिर में स्पेशल टेÑन से टिकट कराए तो वह भी देरी से चल रही है।

दरभंगा जाने के इंतजार मे बैठे संजय सिंह ने बताया कि वे सुबह प्रीतम पुरा से स्टेशन आ गए तब पता चला कि गाड़ी देरी से चलेगी। जयनगर जाने के लिए बेचैन यात्री ने कहा कि उनकी फिक्र है कि उनकी मां कई दिन की यात्रा व थकान के बाद तीन दिन के उपवास वाले व्रत को वो कैसे निभाएगी। जबकि वह खुद बीमार हैं। स्टेशन प्रबंधक रमेश कुमार ने कहा कि हमारे स्टेशन पर पूरी चाक चौबंद व्यवस्था है। यात्रियों के खाने पीने व इंतजार के लिए पूरे इंतजाम है। गाड़ी की अतिरिक्त व्यवस्था है। जरूरत पड़ने पर हम ऐन वक्त पर भी स्पेशल गाड़ी चला सकते हैं। कुछ गाड़िया पीछे से देरी से आई है। हालांकि आज अपेक्षाकृत रूप से भीड़ कम है। सुरक्षा व संरक्षा के लिए भी जरूरी उपाय किए गए हैं।

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