छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बलरामजी टंडन का निधन, 1953 में निगम पार्षद से शुरू किया था राजनीतिक सफर
छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बलरामजी दास टंडन का मंगलवार को यहां निधन हो गया। वह 91 वर्ष के थे। राज्यपाल टंडन सोमवार रात तबीयत बिगड़ने के बाद डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने मंगलवार अपराह्न् 2:10 बजे राज्यपाल के निधन की पुष्टि की और अपनी शोक संवेदना प्रकट की।
उन्होंने कहा, “छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बलरामजी दास टंडन ने लगभग चार वर्षों तक अपनी मूल्यवान सेवाएं दी। राज्यपाल के रूप में वह छत्तीसगढ़ के विकास को लेकर काफी सजग रहते थे। विगत चार वर्षों में प्रदेश के हितों को लेकर और प्रदेशवासियों की बेहतरी से जुड़े विषयों को लेकर मुझे हमेशा उनका मार्गदर्शन मिलता रहा है। मुझे ऐसा लग रहा है कि हम सबने अपने राज्य के अभिभावक को हमेशा के लिए खो दिया है।”
उन्होंने आगे कहा, “मेरे लिए वह पिता तुल्य थे। उनका निधन मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है। वह अत्यंत सहज, सरल और निश्छल स्वभाव के थे। राजनीति में ऐसे लोग बिरले ही मिलते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मंगलवार शाम चार-पांच बजे तक उनके पार्थिव शरीर को दर्शनार्थ राजभवन में रखा जाएगा। उन्हें शाम पांच बजे गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा। इसके बाद शाम छह से 6.15 बजे उनके पार्थिव शरीर को उनके बेटे और बेटी के साथ चंडीगढ़ भेजा जाएगा।
राज्यपाल के निधन पर राज्य में सात दिनों का राजकीय शोक घोषित किया गया है। उल्लेखनीय है टंडन ने 25 जुलाई, 2014 को छत्तीसगढ़ के राज्यपाल का पद संभाला था। उन्होंने अपने 91 वर्ष के जीवनकाल में लगभग 65 वर्षों तक सार्वजनिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग भूमिकाओं में जनता की सेवा की। वह साल 1953 से 1967 तक अमृतसर नगर निगम के पार्षद रहे, और छह बार पंजाब विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए। उनहोंने विधायक के रूप में साल 1957, 1962, 1967, 1969 और 1977 में अमृतसर और साल 1997 में राजपुरा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने पंजाब सरकार के कैबिनेट मंत्री के रूप में उद्योग, स्वास्थ्य, स्थानीय शासन, श्रम और रोजगार विभागों में अपनी कुशल प्रशासनिक क्षमता का परिचय दिया।