छत्तीसगढ़ में 16 लाख पंजीकृत बेरोजगार ! डेढ़ साल में सरकार ने नौकरी दी- शून्य

Unemployment in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में बेरोजगारों को लेकर पेश किए गए आंकड़े हैरान करते हैं. राज्य में 16 लाख से ज्यादा पंजीकृत बेरोजगार हैं, लेकिन पिछले डेढ़ सालों में उनको सरकारी नौकरी उपलब्ध कराने की जानकारी सरकार के पास निरंक यानि शून्य है. बेरोज़गारी की इस विराट लीला में रोजगार के मुद्दे ऐसे खो गए हैं जैसे सरकारी घोषणाओं में नीयत. जिन युवाओं का सपना था स्कूल में पढ़ाने का, वो अब व्हाट्सएप पर बच्चों के रिजल्ट देख रहे हैं… और जो पुलिस में भर्ती होना चाहते थे, वो अब खुद को व्यवस्था की गिरफ़्त में पा रहे हैं . दूसरी तरफ सरकार कहती है “प्लेसमेंट एजेंसियों” से 6279 युवाओं को नौकरी दिलाई गई…वो पंजीकृत लाखों बेरोजगारों पर भी कोई ठोस जवाब नहीं देती. पूरे मामले पर आगे बढ़ने से पहले सरकारी आंकड़ों के जरिए ही राज्य में बेरोजगारी की क्या स्थिति है इसे समझ लेते हैं.
ये सिर्फ बेरोजगारी नहीं, टूटते भरोसे की कहानी है
दरअसल राज्य में 16 लाख 24 हजार 105 पंजीकृत बेरोजगार हैं. लेकिन जनवरी 2024 से जून 2025 के बीच इन बेरोजगारों को शासकीय सेवा में नियोजित या रोजगार उपलब्ध नहीं कराया गया है. ये आंकड़े खुद सरकार के हैं. अहम ये भी है कि छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय सरकार ने अप्रैल से मई 2025 तक सुशासन तिहार मनाया. इस दौरान भी 4373 हितग्राहियों ने रोजगार की व्यवस्था के लिए गुहार लगाई. हकीकत क्या है ये आप सरकारी आंकड़ों के आईने में देख ही चुके हैं. NDTV ने इन्हीं बेरोजगारों की स्थिति जानने के लिए ग्राउंड पर जाकर रोजगार के आकांक्षी युवाओं से बात की. सबसे पहले हमारी मुलाकात हुई दुर्ग के रहने वाले सतीश निषाद से. वे हर रोज़ लाइब्रेरी आते हैं. उनकी मां नहीं रहीं और पिता भी रिटायर हैं. सतीष साल 2015 में ही अपनी पढ़ाई पूरी कर ली है. वो तीन सालों से शिक्षक बनने का सपना लिए किताबों से बातें कर रहे हैं.
इसी तरह का केस मंजू ठाकरे का भी है. वो भी सालों से नौकरी का इंतजार कर रही हैं. वे बताती हैं कि उनके पास तैयारी का वक्त कम है क्योंकि घरवाले शादी का दबाव बना रहे हैं. हमें एक और बेरोजगार मिले, जिनका नाम सतीष निषाद है. उन्होंने बताया कि उनका सपना तो शिक्षक बनने का था जिसके लिए मैं 3 साल से तैयारी कर रहा हूं लेकिन राज्य में 2 सालों से शिक्षकों की भर्ती हुई ही नहीं है. वे बताते हैं कि राज्य में साल 2023 में 78 हजार पद खाली थे लेकिन अब रिक्त पदों को ही कम कर लगभग 22 हजार 464 कर दिया गया है. सतीश बताते हैं कि उनके समूह में करीब 7 लाख अभ्यर्थी बीएड डीएम की डिग्री लेकर इंतजार कर रहे हैं. सरकार के रवैये से अब खुद के भविष्य की चिंता होने लगी है. इसी तरह की एक और बेरोजगार मंजू ठाकरे भी कहती हैं- सरकार सिर्फ हम लोग को भ्रमित कर रही है. न तो वो भर्ती निकाल रही है और न ही कुछ और ही कर रही है.
“हर किसी को सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती”
NDTV ने बेरोजगारों की इस समस्या को लेकर सरकार से भी जवाब मांगा. राज्य के डिप्टी CM विजय शर्मा ने हमारे सवाल के जवाब में कहा- मुझे अभी इसकी पूरी जानकारी नहीं है. मैं जानकारी लेकर ही बता पाऊंगा हालांकि बीजेपी प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास ने बताया- हर किसी को सरकारी नौकरी उपलब्ध नहीं करवाई जा सकती, फिर भी कई विभागों में जरूरत के आधार पर भर्तियां हो रही हैं, युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए सरकार कार्य कर रही है. दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रवक्ता आशीष यादव का कहना है- महिला, किसान, युवाओं की हितैषी होने का दावा करने वाली भाजपा सिर्फ जुमलेबाजी करना जानती है. विधानसभा में पेश आंकड़े ही इनकी हकीकत बता रहे हैं, ये सरकार युवाओं को रोजगार दिलाना ही नहीं चाहती, क्योंकि रोजगार पाने के बाद युवा समाज और देश के विकास में भूमिका निभाएंगे, जबकि बेरोजगार रहेंगे तो इनके जुमलेबाजी में फंसे रहेंगे.
सरकार के पास आंकड़े हैं पर नौकरी नहीं !
जाहिर है छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी का आलम ये है कि आंकड़े सरकार के पास हैं, लेकिन नौकरियां नहीं… और बेरोजगारों के पास डिग्रियाँ हैं, लेकिन दरवाज़ा खटखटाने पर भी कोई नहीं खोलता. राज्य में सोलह लाख से ऊपर पंजीकृत बेरोज़गार हैं. यानी इतनी भीड़ तो कभी मेला प्रांगण में भी नहीं दिखती, जितनी रोज़ रोजगार कार्यालय में दिख जाती है. पर सरकार है कि कहती है हमारे पास जानकारी ही नहीं है कि इनमें से किसी को काम मिला या नहीं! इधर सरकार ने “सुशासन तिहार” मनाया… अच्छा किया, पर लगता है तिहार में शासन चला गया और सुशासन कहीं छुट्टी पर! यह वो सरकार है जो बेरोज़गार को आत्मनिर्भर बनाना चाहती है. शायद इसलिए कि बेरोजगार रोज़ खुद से कहे, “हिम्मत रख, सरकार के भरोसे मत बैठ!