छात्र डर रहे हैं… राज्य की स्थिति के लिए CM ममता बनर्जी जिम्मेदार

राज्यपाल कार्यालय ने एक ‘अभय पोर्टल’ भी खोला है. जिसकी मदद से कोई भी ऐसा चिकित्सक या आम आदमी फोन करके सहायता मांग सकता है जो किसी परेशानी में है.

कोलकाता आरजी कर मेडिकल कॉलेज की महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप व मर्डर के बाद अस्पताल परिसर में हुई तोड़फोड़ को लेकर राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने कहा है कि “तोड़फोड़ और घोटाले” राज्य में नागरिक जीवन को प्रभावित कर रहे हैं. राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने शुक्रवार को एनडीटीवी के साथ खास बातचीत के दौरान राज्य की स्थिति के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि महिला मेडिकल छात्राओं ने उन्हें बताया है कि उनके परिवार चाहते हैं कि वे यह पेशा छोड़ दें.

राज्यपाल ने खोला अभय होम

राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने कहा कि उन्होंने राजभवन में एक गृह खोला है, जिसका नाम 31 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर के नाम पर रखा गया है. महिला को ‘अभय’ (निडर) नाम दिया गया है और राज्यपाल ने कहा कि जो छात्र डर महसूस करते हैं, वे ‘अभया गृह’ में आ सकते हैं. राज्यपाल ने आगे कहा कि मैं कुछ मेडिकल छात्रों से बातचीत कर रहा था. उन्होंने मुझसे कहा, ‘कृपया हमें भय के मनोविकार से मुक्ति दिलाइए. कृपया हमें सुरक्षा दीजिए. हमारे पास परिसर के अंदर कोई सुरक्षा नहीं है और अब बाहर भी कोई सुरक्षा नहीं है. ‘  कुछ छात्राओं ने मुझे बताया कि उनके पास जाने के लिए कोई जगह नहीं है, उनके पास कोई सुरक्षा नहीं है. उन्होंने मुझसे कहा, ‘हमारे माता-पिता हमसे पेशे छोड़ने, बॉन्ड के पैसे वापस करने के लिए कह रहे हैं. बोल रहे हैं कि वापस आ जाओ. जीवन इससे कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण है,पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन की विपक्ष की मांग पर एक सवाल का जवाब देते हुए राज्यपाल ने कहा, “मांग तो मांग है, देखते हैं कि आपूर्ति क्या होती है. राज्यपाल के तौर पर मैं ऐसे मुद्दों पर सतर्क रहना चाहूंगा. संविधान में कई विकल्प हैं. मैं इस समय अपने विकल्प सुरक्षित रखता हूं… मैं इस बारे में सार्वजनिक तौर पर नहीं बताना चाहता कि मैं भारत के संविधान के तहत आगे क्या करने जा रहा हूं.”

“बंगाल के समाज में डर बढ़ रहा है”

बोस ने कहा कि युवा न तो अतीत की रचना हैं और न ही वर्तमान के संरक्षक, बल्कि वे भविष्य के निर्माता हैं और उन्हें इस तरह अपनी सुरक्षा के लिए गुहार लगाते देखना दुखद है. उन्होंने कहा कि राजनीति के नाम पर सड़कों पर क्या होता है, इससे मेरा कोई लेना-देना नहीं है. लेकिन सच्चाई यह है कि बंगाल के समाज में डर बढ़ रहा है. हर जगह हिंसा है. और यह सब उसी बंगाल में हो रहा है, जिसके बारे में गोपालकृष्ण गोखले ने एक बार कहा था, ‘बंगाल आज जो सोचता है, भारत कल सोचता है’. क्या यह वही बंगाल है जिसके बारे में रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा था, ‘जहां मन भयमुक्त हो और सिर ऊंचा हो’?